El Nino Effect: इस साल सामान्य से अधिक रहेगा सर्दियों का तापमान, 2024 में भारी भारिश का अनुमान

El Nino Effect: इस साल सामान्य से अधिक रहेगा सर्दियों का तापमान, 2024 में भारी भारिश का अनुमान

आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि इस साल जहां अल नीनो के प्रभाव से कम बारिश हुई है और मॉनसून सामान्य से कम रहा वही साल 2024में मॉमसून सामान्य रहेगा और सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है.

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El Nino Effect: इस साल सामान्य से अधिक रहेगा सर्दियों का तापमान, 2024 में भारी भारिश का अनुमानभारत में अल नीनो का प्रभाव

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और विश्व मौसम विज्ञान संगठन की तरफ से किए गए मौसम पूर्वानुमान के अनुसार इस साल  की आने वाली सर्दियों में तापमान सामान्य से अधिक गर्म होगा. साथ ही कहा गया है कि अल नीनो के प्रभाव से अगले साल अच्छी बारिश होगी और भरपूर मॉनसून के संकेत मिल रहे हैं. आईएमडी ने यह भी कहा कि फिलहाल अल नीनो का प्रभाव लंबे समय रहने वाला है जो आने वाले अप्रैल 2024 तक चलेगा. बताते चलें की अल नीनो एक प्राकृतिक रुप से होने वाली जलवायु घटना है जो भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के खराब होने की वजह माना जाता है. इसके प्रभाव से देश में मॉनसून के दौरान बारिश अनियमित हो जाती है और कम बारिश होती है. 

अल नीनो के प्रभाव से जमीन औऱ समुद्र दोनों की जगहों का तापमान बढ़ता है. वहीं आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि इस साल जहां अल नीनो के प्रभाव से कम बारिश हुई है और मॉनसून सामान्य से कम रहा वही साल 2024में मॉमसून सामान्य रहेगा और सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है. तो आने वाले साल में मॉनसून में अच्छी बारिश होगी. गौरतलब है कि इस साल देश  सामान्य औसत की लगभग 94 फीसदी बारिश हुई. देश के कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई इसके कारण सूखे जैसे हालात भी उत्पन्न हुए. देशभर मे हुई इस असमान बारिश के कारण कृषि गतिविधियों पर भी असर पड़ा था. 

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नौ से 12 महीने तक रहता है प्रभाव

अल नीनो का संबंध मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के विशेष रूप से पेरू, दक्षिण अमेरिका के पास, समुद्र की सतह के गर्म होने से है. इसके प्रभाव से समुद्र का सतह गर्म हो जाता है.  हालांकि, यह देखा गया है कि इंसनों द्वारा प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ के कारण उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या के कारण अल नीनों की प्रक्रिया की आवृति बढ़ गई है. अल नीनो के कारण इस वर्ष मई से सितंबर के दौरान समुद्र की सतह का तापमान 0.5°C से 1.5°C के बीच रहा. अल नीनो की आवृति औसतन हर दो से सात साल में होता है और आम तौर पर नौ से 12 महीने तक रहता है. यह भारत में खराब मानसून और ऑस्ट्रेलिया में सूखे जैसी स्थिति से जुड़ा है.

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नवंबर लेकर जनवरी तक चरम पर रहेगा प्रभाव

अल नीनों की घटना को लेकर विश्व मौसम संगठन ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है. विश्व मौसम संगठन के हालिया विश्लेषण से पता चला है  नवंबर से लेकर जनवरी 2024 तक अल नीनो की घटना के चरण पर रहने की संभावना है. इसका प्रभाव अप्रैल 2024 में कम हो जाएगा. इससे काऱण भारतीय प्रायद्वीप तक अच्छी बारिश होने वाली दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं के पहुंचने का रास्ता साफ हो जाएगा. डब्ल्यूएमओ के अनुसार, इस मात की 90 फीसदी संभावना है कि अल नीनो आगामी उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों और दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियों में जारी रहेगा.

 

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