झारखडं की कृषि में बदलाव लाने के लिए ड्रोन दीदी बनकर राज्य की ग्रामीण महिलाएं तैयार हैं. ड्रोन दीदी बनकर ये महिलाएं ना सिर्फ अपने गांव और आस-पास के खेतों की उपज बढ़ाने में मदद करेंगी, बल्कि इसके जरिए वे अपनी आय को भी बढ़ाएंगी और अपने परिवार को आगे ले जाएंगी. महिलाएं ड्रोन उड़ाने को लेकर काफी उत्साहित भी हैं. हजारीबाग के ईचाक प्रखंड अंतर्गत जलौंध गांव की लक्ष्मी देवी भी राज्य की उन्हीं महिलाओं की लिस्ट में शामिल हैं जो ड्रोन दीदी बन कर गांव की कृषि में नया बदलाव लाने के लिए तैयार हैं. उनका मानना है कि ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों की उपज के साथ आय भी बढ़ेगी.
लक्ष्मी देवी किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने अपने घर में बचपन से खेती होते देखा है. इसलिए खेती बाड़ी में उनकी रुचि और जानकारी को देखते हुए उनका ड्रोन दीदी योजना के लिए चयन किया गया था. ड्रोन दीदी के बारे में उन्होंने बताया कि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से उनका चयन किया गया है. ड्रोन दीदी के तौर पर चुने जाने के बाद सबसे पहले रांची में लिखित परीक्षा में शामिल हुईं. परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू लिया गया. फिर उन्हें ट्रेनिंग के लिए गुवाहटी भेजा गया. वहां उन्हें सात दिनों की ट्रेनिंग दी गई. इसके बाद मोतिहारी में ट्रेनिंग दी गई.
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लक्ष्मी देवी ने बताया कि यूट्यूब देखकर कृषि ड्रोन के बारे में जानकारी हासिल की थी. आगे उन्होंने कहा कि वो ड्रोन दीदी तो बन गई हैं, लेकिन अभी तक खेतों में इसका इस्तेमाल नहीं कर पाई हैं. ड्रोन से छिड़काव करने के लिए फोन तो आते हैं, लेकिन वे छिड़काव नहीं कर पा रही हैं क्योंकि अभी तक उन्हें लाइसेंस नहीं मिला है. लक्ष्मी देवी ने बताया कि अभी खरीफ का सीजन चल रहा है. धान और अन्य खेतों में छिड़काव करने से अच्छी कमाई हो सकती थी. समस्या ये है कि लाइसेंस नहीं होने कारण ड्रोन का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं.
लक्ष्मी देवी ने उम्मीद जताई कि ड्रोन से छिड़काव शुरू करने के बाद उन्हें प्रति महीने 15-20 हजार रुपये की कमाई होगी. उन्होंने बताया कि उनके पूरे प्रखंड में काफी संख्या में किसान रहते हैं. वह खुद भी ईचाक महिला फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बोर्ड की मेंबर हैं. उनकी कंपनी में 500-600 किसान हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के किसान प्रमुख तौर पर धान, आलू, मक्का. गेहूं, फूलगोभी, पत्ता गोभी, मिर्च और टमाटर की खेती करते हैं. आगे उन्होंने कहा कि उनके ड़्रोन दीदी बन जाने के बाद कंपनी के सभी किसान काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें अब उम्मीद है कि कम खर्च में अपने खेतों में दवाओं का छिड़काव करा पाएंगे.
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लक्ष्मी देवी बताती हैं कि साइकिल के अलावा आज तक उन्होंने कुछ भी नहीं चलाया था. पर आज वो ड्रोन उड़ाने के लिए तैयार हैं. ड्रोन के इस्तेमाल से होने वाले फायदों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पैसों की बचत होती है. एक एकड़ में छिड़काव करने के लिए मजदूर 2000 रुपये लेते हैं. पर ड्रोन से मात्र 500 रुपये में छिड़काव हो जाता है. ड्रोन से छिड़काव करने में समय की बचत होती है. ड्रोन से दवाओं का छिड़काव करने से एक समान मात्रा में सभी पौधों पर दवाओं और खाद का छिड़काव होता है, इससे अच्छी पैदावार होती है. इसके साथ ही छिड़काव करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है.
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