दिवाली के त्यौहार को लेकर प्रजापति कुम्हारो की तरफ से मिट्टी के बर्तन और दीए बनाने का काम तेजी से शुरू हो चुका है. दिया और बर्तन बनाने की तैयारी 4 महीने पहले से ही शुरू हो चुकी है. दीपों के त्योहार दिवाली को लेकर लाखों की संख्या में दिए तैयार किए जाते हैं. दीपावली, छठ पूजा, धनतेरस और गोवर्धन पूजा में इनकी खूब मांग होती है, इसे देखते हुए बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है. मिट्टी के दिए औऱ बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को उम्मीद है कि इस बार उनके उत्पादों की अच्छी मांग होगी, इसे देखते हुए वो पूरे परिवार के साथ कार्य करने में जुटा हुआ है. वहीं जैसे-जैसे दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है दुकानों में मिट्टी के बर्तन और रंग-बिरंगे दिए सजने शुरू हो गए हैं.
प्रदूषण रहित दिवाली के तहत लोग भी जागरूक नजर आ रहे साथ ही दिवाली की परंपरा को बरकरार रखते हुए मिट्टी के दिए की खरीदारी कर रहे हैं. पर इस बीच दिए बनाने वाले कुम्हार चिंतित हैं. क्योंकि बढ़ती महंगाई के अनुरुप उन्हें अपने दिये के दाम नहीं मिल रहहैं. कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी के दाम आसमान छूर रहे हैं पर, पहले भी दिया एक रुपये प्रति पीस बिकता था और आज भी दिया एक रुपये प्रति पीस की दर से ही बिक रहा है. इस तरह से उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा है. मिट्टी के दिए के अलावा कुम्हार दिवाली के दौरान बिकने वाले मिट्टी के खिलौने भी बनाते हैं.
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आगामी त्योंहारों में मिट्टी के दिए और बर्तन की मांग को देखते हुए मिट्टी का काम करके अपने परिवार का पेट भरने वाले कुम्हारों की चाक की रफ्तार बढ़ गई है. फिलहाल को दिन रात काम कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक बर्तन और दिए बना सकें और उसे बेचकर अच्छे पैसे कमा सकें. कुम्हारों का पूरा परिवार सुबह से शाम तक दिए और बर्तन बनाने के काम में जुटा हुआ है. चाक पर अपने उंगलियों से दिए को आकार देते हुए नर्मदा बतातीं है कि उन्हें उम्मीद है कि इस बाद दिए और बर्तन की अच्छी बिक्री होगी, जिससे उन्हें अच्छी कमाई होगी. इसलिए वो अपने पूरे परिवार के साथ इस काम को करने में जुटी हुई है. दीऐ बना रहे पवन कुमार का कहना कि दिवाली की पूरी तैयारी हो चुकी है. लाखों की की संख्या में मिट्टी के दीयों का आर्डर आ रहे हैं और वह बरनाला से बाहर भी दियों की सप्लाई कर रहे हैं. इस बार बाजार में रंगबिरंगे डिजाइनदार मिट्टी के दीऐ की डिमांड अधिक देखने के लिए मिल रही है. इसलिए तरह-तरह के मिट्टी के दीऐ बनाए जा रहे हैं.
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वहीं बाजारों में खरीदारी कर रहे परिवार भी मिट्टी के बर्तनों को प्रमुखता देते नजर आए. उनका कहना है कि पॉल्यूशन रहित दिवाली के तहत हमें पारंपरिक तरीके से तैयार मिट्टी के दिए का इस्तेमाल करना चाहिए. जिससे दिवाली की सुंदरता और रंगत भी बरकरार रहेगी. जागरूक ग्राहकों ने कहा कि पंजाब सरकार की मुहिम के तहत डिस्पोजल दीये मोमबत्तियां को छोड़ ऑर्गेनिक मिट्टी के दिए इस्तेमाल करने से पॉल्यूशन भी खत्म होगा, समाज सुंदर पॉल्यूशन रहित और स्वस्थ होगा. इससे इन मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवारों की कहीं ना कहीं आर्थिक तौर पर मदद भी होगी और इनका व्यापार भी अच्छा चलेगा.
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