छोटी जोत वाले किसानों को अकसर खेत की जुताई के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनकी दिक्कतों को दूर करने के लिए इलेक्ट्रिक टिलर आ गया है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने रविवार को कहा कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केंद्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई) ने छोटे और सीमांत किसानों को टिकाऊ और बेहतर खेती में मदद करने के लिए एक इलेक्ट्रिक टिलर लॉन्च किया है. इस इलेक्ट्रिक टिलर में बेहतर टॉर्क उत्पन्न होता है. साथ ही इसमें फील्ड में काम करने की बेहतर दक्षता है. इस टिलर से काम करने वाले को भी आराम मिलता है और यह पर्यावरण को भी अधिक नुकसान नहीं पहुंचाता है. इस टिलर की एक और खासियत यह होती है कि इसमें कंपन कम होता है. साथ ही यह साइलेंट तरीके से काम करता है,यह अधिक शोर नहीं करता है.
इतना ही नहीं इस टिलर को पर्यावरण हितैषी इसलिए भी कहा गया है क्योंकि यह पारंपरिक टिलर की तुलना में कार्बन का उत्सर्जन कम करता है. मंत्रालय ने कहा कि यह टिलर किसानों के लिए काफी लाभदायक होने वाला है. क्योंकि इससे बड़े क्षेत्र में कम समय में खेत की जुताई की जा सकती है. आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार सीएसआईआर-सीएमईआरआई की नवीन तकनीक को शनिवार को दुर्गापुर में सीएसआईआर के महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सचिव एन. कलईसेलवी ने लॉन्च किया.
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देश में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है. इसके साथ ही यहां पर किसानों की जोत जमीन भी छोटी है. इन जमीनों में ट्रैक्टर से खेत की जुताई करना आसान नहीं होता है. ऐसे में छोटा टिलर किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. इलेक्ट्रिक टिलर भी देश के ऐसे ही छोटे और सीमांत किसानों के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है जिनके पास छोटी जोत की जमीन है. उल्लेखनीय है कि देश में ऐसे किसानों की संख्या अधिक है, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है. भारत में ऐसे किसानों की संख्या 80 प्रतिशत है. यह इलेक्ट्रिक टिलर उन 80 फीसदी किसानों के लिए लाभदायक साबित होगी. क्योंकि इसके इस्तेमाल से उनके खर्च में भी कमी आएगी.
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यह टिलर देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा. क्योंकि जुताई करने में ट्रैक्टर के इस्तेमाल करने से कार्बन का उत्सर्जन होता है. इस नए टिलर से यह फायदा है कि इससे पर्यावरण के अनुकूल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी. टिलर के बारे में बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि इसके इस्तेमाल से इसके परिचालन का खर्च 85 फीसदी तक घट जाएगा. इतना ही नहीं यह बैटरी स्वैपिंग को भी सपोर्ट करता है. तथा एसी और सोलर चार्जिंग सहित चार्जिंग के कई विकल्प प्रदान करता है. यह टिलर मानक कृषि उपकरणों जैसे कि रिजर, हल, लोहे के पहिये और कल्टीवेटर के साथ भी सहजता से एसेंबल हो जाता है. यह टिलर पांपी के पंप के साथ 500 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम है. इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण और एर्गोनोमिक हैंडलिंग की विशेषता के इसका इस्तेमाल आसान हो जाता है.
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