छत्तीसगढ़ सरकार ने आयुर्वेद में सुझाए गए उपायों से तमाम बीमारियों के इलाज में काम आने वाली जड़ी बूटियों के संग्रह को आजीविका के माध्यम के तौर पर पेश किया है. राज्य के Rural Areas में आयुर्वेद को चिकित्सा का प्रभावी विकल्प बनाने के क्रम में विष्णुदेव साय सरकार ने Innovative Plan के तहत आयुर्वेद उपचार के प्रमुख केंद्र के रूप में 'बूटी गढ़' स्थापित किया है. धमतरी जिले में स्थापित बूटी गढ़ में Water Conservation और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का अनोखा समन्वय देखने को मिलेगा. इसमें एक 'रस शाला' भी बनाई गई है, जो भारतीय ज्ञान परंपरा में यकीन रखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है. सरकार का दावा है कि इस पहल से राज्य में वन संपदा को सहेजने और लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक किया जा सकेगा.
छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण और आयुर्वेद को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इस उद्देश्य को पूरा करने के क्रम में धमतरी जिले के Forest Village सिंहपुर में आयुर्वेदिक चिकित्सा और प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए बूटी गढ़ की स्थापना की गई है.
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बूटी गढ़ क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से Medicinal Plats पाये जाते हैं, इसलिए यहां हर्बेरियम का निर्माण किया जा रहा है. औषधीय गुणों से युक्त पौधों के संवर्धन, प्रचार-प्रसार और उपयोगिता के लिए आयुष रस शाला स्थापित हो रही है. यह स्थानीय लोगों, छात्रों और पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनी है.
गौरतलब है कि आयुर्वेद में पानी का बहुत महत्व होता है. पानी शरीर के सभी प्रमुख तत्वों को संतुलित रखता है. इसके मद्देनजर धमतरी जिले में "जल जगार" कार्यक्रम के माध्यम से जल संरक्षण के साथ Ayurvedic Tonic और औषधियों की उपयोगिता को भी प्रदर्शित किया गया. इसमें उपस्थित आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बूटी गढ़ और रस शाला के महत्व को उजागर करते हुए बताया कि कैसे एक परिवार और समाज, शुद्ध पानी और आयुर्वेदिक खान पान को अपनाकर Healthy Lifestyle अपना सकते हैं.
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवध पचौरी ने बताया कि बूटी गढ़ में 160 प्रकार की जड़ी बूटियों को चिन्हित किया गया है. बूटी गढ़ में औषधीय महत्व की इन जड़ी बूटियों के 25,000 पौधे लगाए गए हैं.
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इनमें से कुछ ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए चूर्ण या टैबलेट बनाकर किया जा रहा है. साथ ही विलुप्त हो रही जड़ी-बूटियों को भी बूटी गढ़ में सहेजा जा रहा है, ताकि भविष्य में इन पर शोध हो सके.
डॉ पचौरी ने बताया कि वर्तमान में विभिन्न आयुष केंद्रों में योग करने आये लोगों, मरीजों, गर्भवती महिलाओं, युवाओं एवं बच्चों को विभिन्न जड़ी बूटियों से बना काढ़ा, दवा के रूप में दिया जा रहा है. जिससे लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे है.
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद से जुड़े प्राचीन ग्रंथ 'रस शास्त्र' में महर्षि नागार्जुन द्वारा बताई गई औषधियों को बनाने की कई विधियों का वर्णन है. इसकी मदद से औषधियों को तैयार किया जाता था. इन औषधियों से तमाम रोगों का इलाज आज भी किया जाता है. बूटी गढ़ की आयुष रस शाला में भी इन्हीं विधियों से औषधीय रस और काढ़ा बनाए जाते हैं.
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