आज पूरे देश में भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है. इसी के साथ आज पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो रहा है. बता दें कि ये त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज का यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. इस त्यौहार को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया भी कहा जाता है. भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाने का सबसे अधिक महत्व है. इस दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई की स्तुति करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. ये प्रथा सदियों पुरानी है. ऐसे में आइए जानते हैं भाई दूज का पूजन विधि और शुभ मुहूर्त.
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. वहीं, भाई दूज का आज सबसे खास मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक है. इसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा. ऐसे में बहने अपने भाई को इस अवधि के बीच तिलक लगा दें.
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भाई दूज के मौके पर बहनें भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती है. इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन,फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए. तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं. चावल के इस चौक पर भाई को बिठाएं जाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें. तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन दें.
मान्यताओं के अनुसार, यमुना जी ने अपने भाई यम देवता को भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित किया था. जब यमराज यमुना के घर गए तो बहन ने उनका तिलक लगाकर स्वागत किया और भोजन कराया. साथ ही यमराज से वरदान मांगा कि जो बहन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन अपने भाई को घर बुलाकर भोजन कराए, उसके भाई को यम का भय नहीं रहेगा. तब यमराज ने उनसे तथास्तु कहा और यमुना को उपहार देकर यमलोक वापस चले गये. मान्यता है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों को शुभ मुहूर्त में तिलक करती हैं और उन्हें पूरे वर्ष यम देवता के भय से मुक्ति दिलाकर सुख-सौभाग्य की प्राप्त करवाती है. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है.
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