एमपी के 18 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान अब केंद्र की राजनीति की ओर रुख करते दिख रहे हैं. पिछले Assembly Election में शिवराज के सिर पर भाजपा की जीत का सेहरा नहीं बंधने के बाद से ही उनके सियासी भविष्य पर कयास लगने लगे थे. BJP Leadership ने अब Lok Sabha Election 2024 में शिवराज को विदिशा सीट से उम्मीदवार बनाया है. एमपी के मुख्यमंत्री बनने के समय तक शिवराज, इस सीट से 5 बार सांसद बन चुके थे. विदिशा सहित एमपी की सभी 29 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है. विदिशा सीट से शिवराज की जीत को लगभग पक्का माना जा रहा है. ऐसे में अब चर्चा इस बात की होने लगी है कि सांसद बनने पर शिवराज बुधनी से विधायक पद को छोड़ेंगे और फिर इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में शिवराज का उत्तराधिकारी कौन होगा. इस चर्चा में स्वाभाविक रूप से पहला नाम उनके बड़े बेटे कार्तिकेय सिंह का है. हालांकि कार्तिकेय के लिए बुधनी से विधानसभा तक के सफर की राह में पार्टी और पिता की सैद्धांतिक प्रतिबद्धता बाधक बन सकती है.
शिवराज सिंह चौहान मूल रूप से सीहोर जिले में जैत गांव के रहने वाले हैं. यह गांव सीहोर की बुधनी विधानसभा सीट का हिस्सा है. बतौर मुख्यमंत्री, शिवराज बुधनी सीट से ही विधायक बनते रहे हैं. पिछला विधानसभा चुनाव भी उन्होंने इसी सीट से लड़ा था. शिवराज ने 1990 के दशक में विदिशा संसदीय सीट से सांसद का चुनाव जीतने के साथ अपनी Political Journey की शुरुआत की थी. इस लिहाज से 5 बार संसद में विदिशा का प्रतिनिधित्व करने के कारण शिवराज के लिए विदिशा कर्मभूमि है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर परिवारवाद का आरोप लगातार पुरजोर तरीके से लगा रहे हैं. भाजपा भी परिवारवादी राजनीति को सैद्धांतिक तौर पर जायज नहीं मानती है. शिवराज खुद भी राजनीति में परिवारवाद के धुर विरोधी रहे हैं. ऐसे में उनके द्वारा अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने ही बेटे को राजनीति में लाना सहज नहीं माना जा रहा है.
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हालांकि भाजपा नेताओं की संतानों के राजनीति में पदार्पण को PM Modi इस दलील के साथ जायज ठहराते रहे हैं कि यदि किसी नेता की संतान पहले से ही राजनीति में सक्रिय है, तो उसे परिवारवाद नहीं माना जाएगा. कार्तिकेय, इस कसौटी पर खरे उतरते जरूर दिखते हैं. वह पिछले कुछ सालों से बुधनी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. यहां तक कि पिछले विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट पर शिवराज सिर्फ नामांकन के लिए गए थे. उनकी गैरमौजूदगी में बुधनी का चुनाव प्रबंधन कार्तिकेय ने ही संभाला था.
पार्टी के सूत्रों की मानें तो विदिशा में शिवराज की जीत को सुनिश्चित मानते हुए ही भाजपा आलाकमान ने उनके उत्तराधिकारी को लेकर रणनीति बना ली है. माना जा रहा है कि बुधनी सीट पर उपचुनाव होने पर शिवराज उम्मीदवार के चयन में निरपेक्ष भूमिका का निर्वाह करेंगे. सिर्फ बुधनी के कार्यकर्ताओं की इच्छा का हवाला देकर पार्टी नेतृत्व की ओर से कार्तिकेय सिंह के नाम पर मुहर लगाने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. फिलहाल 4 जून काे Lok Sabha Election Result घोषित होने का इंतजार है. इसके बाद ही शिवराज के सियासी भविष्य और बुधनी में उनके उत्तराधिकारी का नाम तय होगा.
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