
भारत में चुनावों के दौरान वोटर्स को लुभाने के लिए आज भी पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल होता है. आज भी चुनाव को प्रभावित करने के लिए धन, बल और शराब का इस्तेमाल होता है. हालांकि मतदाताओं को इसके प्रति जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग की तरफ से हर बार प्रयास किए जाते हैं. निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हर बार तैयारी की जाती है पर इसके बावजूद पहले की स्थितियों और अब में बहुत सुधार नहीं हुआ है. विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर भारतीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट तो यही कह रही है. क्योंकि आयोग ने कहा है कि चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के बाद पांच राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की है. जो इन पांच राज्यों में हुए पिछले चुनाव की तुलना में 636 प्रतिशत अधिक है.
चुनाव आयोग के आंकड़े यह बताने के लिए काफी है की लाख प्रयास के बाद भी इनका इस्तेमाल हो रहा है. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव हो रहे हैं. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया की पांचों राज्यों में चुनाव की घोषण होने के बाद 1760 करोड़ रुपए से अधिक की जब्ती हुई है. जो इन राज्यों में 2018 में हुए चुनावों के दौरान की गई जब्ती से सात गुणा मतलब 239.15 करोड़ रुपए अधिक है. आयोग ने बताया की तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होना है.
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पांच राज्यों की तुलना में यहां पर सबसे अधिक 659.2 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती हुई है. इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है, जहां से आयोग ने 650.7 करोड़ रुपये की जब्ती की है. वहीं मध्यप्रदेश में 323.7 करोड़ रुपये की जब्ती आयोग की तरफ से की गई है जबकि छत्तीसगढ़ में 76.9 करोड़ रुपये की जब्ती हुई है. वहीं आकड़ों के मुताबिक मिजोरम में 49.6 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं.
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यहां पर बता दें कि पिछले बार जब छह राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए थे उस समय 1400 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई थी. आयोग के बयान के अनुसार इस बार के चुनावों की जब्ती पिछले बार के चुनावों से 11 गुणा अधिक है. बयान में कहा गया है कि इन पांच राज्यों में 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़ों की तुलना में 636 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. चुनाव आयोग ने कहा है कि जब्ती में नकदी, ड्रग्स, कीमती धातुएं, करोड़ो मूल्य की वस्तुएं, मुफ्त सामान और अन्य सामान शामिल है. आयोग ने बताया कि इस बार उन्होंने चुनाव व्यय निगरानी प्रणाली के माध्यम से निगरानी प्रक्रिया में तकनीक का इस्तेमाल किया था जो काफी फायदेमंद रहा.
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