खेती-बाड़ी को लेकर आई एक रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी मिली है. रिपोर्ट कहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के काम में लगे लोगों की कमाई बढ़ी है, लेकिन खास बात ये है कि यह कमाई खेती से नहीं आ रही है बल्कि इसका स्रोत कुछ और है. ये स्रोत हैं सरकारी और निजी काम, दिहाड़ी मजदूरी और अन्य तरह के पेशे. इस रिपोर्ट से साफ होता है कि ग्रामीण इलाकों में जो परिवार खेती-बाड़ी से जुड़े हैं, जिनके अपने खेत हैं, वे लोग खेती से हटकर दूसरे काम या नौकरी से कमाई पा रहे हैं.
यह जानकारी 'ऑल इंडिया रूरल फाइनेंशियल इनक्लुजन सर्वे 2021-22' में सामने आई है. इस रिपोर्ट को नाबार्ड ने तैयार कराया है. यह रिपोर्ट पूरी तरह से ग्रामीण परिवारों पर आधारित है. ये वे परिवार हैं जिनका भरण-पोषण पूरी तरह से कृषि और उससे जुड़े काम से होता आया है. इस सर्वे में एक दिलचस्प बात सामने आई है कि ग्रामीण इलाकों में गैर-कृषि आधारित परिवारों की तुलना में कृषि आधारित परिवारों की कमाई बढ़ी है. कृषि वाले परिवारों की कमाई जहां 13,661 रुपये प्रति माह दर्ज की गई, वहीं गैर-कृषि परिवारों की आय 11,438 रुपये रही.
लेकिन सवाल है कि यह कमाई कहां से और किस काम से आ रही है? सवाल है कि क्या खेती से ही कृषि वाले परिवारों की आय में इजाफा हो रहा है? इसका जवाब ना है. रिपोर्ट बताती है कि कृषि वाले परिवारों की हर महीने आय का एक तिहाई हिस्सा ही खेती से जुड़ा है जबकि बाकी की दो तिहाई इनकम सरकारी या निजी काम, दिहाड़ी मजदूरी और अन्य पेशे से आ रही है.
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'डाउन टू अर्थ' में छपी एक रिपोर्ट कहती है, भारत मुख्यतः छोटे और सीमांत किसानों का देश है जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जोत के खेत हैं. सर्वे में खेतों के आकार के आधार पर कमाई का जिक्र किया गया है. सर्वे में बताया गया है कि जिन किसानों या लोगों के पास 2 हेक्टेयर से अधिक खेत है, वे छोटी जोत वाले किसानों से दोगुना अधिक कमाते हैं. सर्वे से स्पष्ट होता है कि जैसे-जैसे किसानों के पास खेत कम होते हैं यानी कि लैंड साइज कम होता है, वैसे-वैसे उनकी खेती से कमाई घटती जाती है. इसका असर होता है कि छोटी जोत वाले लोग खेती को छोड़कर अन्य कामों में लग जाते हैं और उन कामों से उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.
सर्वे में बताया गया है कि जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर से अधिक खेत है, उनकी कमाई 0.01 हेक्टेयर खेत वाले किसान से 57 गुना अधिक पाई गई है. 56 परसेंट से अधिक कृषि वाले परिवार तीन या उससे भी अधिक इनकम के सोर्स पर निर्भर पाए गए जबकि बिना कृषि वाले 66 परसेंट परिवार केवल एक सोर्स पर निर्भर हैं. इससे पता चलता है कि कृषिगत परिवारों के सामने खेती से घटती कमाई एक बड़ी चुनौती है. इसलिए वे खेती से हटकर दूसरे काम की तरफ रुख कर रहे हैं ताकि उनकी कमाई बढ़े और घर का खर्चा चले. ऐसे परिवारों की कमाई इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि उन्होंने अधिक से अधिक इनकम सोर्स का सहारा लिया.
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