scorecardresearch
क‍िसानों ने बीज और कीटनाशक कंपन‍ियों पर क्यों लगाया म‍िलीभगत का आरोप? 

क‍िसानों ने बीज और कीटनाशक कंपन‍ियों पर क्यों लगाया म‍िलीभगत का आरोप? 

पुणे में केंद्रीय कृष‍ि सच‍िव के सामने क‍िसान संगठनों के प्रत‍िन‍िध‍ियों ने कहा क‍ि न‍िजी कंपन‍ियां बेच रही हैं वायरस वाला बीज. ज‍िससे कम हो रहा है उत्पादन, कीटनाशकों का बढ़ रहा है खर्च. कहा-बीज और कीटनाशक कंपन‍ियों की म‍िलीभगत से हो रहा है ऐसा.  

advertisement
महाराष्ट्र्र में टमाटर की खेती करने वालों पर चौतरफा मार (File Photo/Kisan Tak). महाराष्ट्र्र में टमाटर की खेती करने वालों पर चौतरफा मार (File Photo/Kisan Tak).

महाराष्ट्र में टमाटर की खेती करने वाले क‍िसान स‍िर्फ कम दाम की समस्या से ही नहीं परेशान हैं. उनकी एक और बड़ी परेशानी खराब बीज से भी जुड़ी हुई है. ज‍िसकी वजह से उत्पादन कम हो रहा है और रोग बहुत लग रहे हैं. शुक्रवार को पुणे में क‍िसान संगठनों के प्रत‍िन‍िध‍ियों ने केंद्रीय कृष‍ि सच‍िव मनोज आहूजा के सामने यह मुद्दा उठाया. क‍िसानों ने कहा क‍ि उन्हें सरकारी स‍िस्टम से बीज नहीं म‍िलता इसल‍िए वो मजबूरी में न‍िजी कंपन‍ियों से खरीदते हैं. लेक‍िन न‍िजी कंपन‍ियां सीड में खेल कर रही हैं. उत्पादन घट गया है, कीटनाशकों पर खर्च बढ़ गया है. इसके बाद जब फसल तैयार होती है तब मार्केट में दाम नहीं म‍िलता है. 

ऑल इंड‍िया वेज‍िटेबल ग्रोवर्स एसोस‍िशन के अध्यक्ष श्रीराम गाडवे ने कृष‍ि सच‍िव से कहा क‍ि सीड में ही वायरस आ रहा है. ज‍िसकी वजह से फसल में रोग बहुत‍ लग रहा है. ऐसा लगता है क‍ि सीड और पेस्टीसाइड कंपन‍ियां म‍िलकर काम कर रही हैं. पहले टमाटर की खेती में प्रत‍ि एकड़ का प्रोडक्शन 12 टन के आसपास म‍िलता था जो अब खराब गुणवत्ता के सीड और बीमार‍ियों की वजह से घटकर पांच-सात टन रह गया है. क‍िसान टमाटर की खेती में चौतरफा नुकसान झेल रहे हैं. 

निजी बीज कंपन‍ियों की मनमानी 

गाडवे ने 'क‍िसान तक' से बातचीत में कहा क‍ि मनोज आहूजा के सामने क‍िसान संगठनों के प्रत‍िन‍िध‍ियों ने प्याज और टमाटर का बहुत कम दाम म‍िलने की समस्या उठाई. लेक‍िन खराब दाम से अध‍िक जोर खराब क्वाल‍िटी का सीड म‍िलने की श‍िकायत करने पर था. इस वक्त बागवानी फसलों का 95 फीसदी सीड प्राइवेट कंपन‍ियां बेच रही हैं. स‍िर्फ पांच फीसदी पर सरकारी स‍िस्टम है. ऐसे में कंपन‍ियां मनमानी कर रही हैं. सरकारी संस्थाओं से क‍िसानों को बीज म‍िलता तो क‍िसान इतने परेशान नहीं होते. गाडवे ने बताया क‍ि आहूजा ने क‍िसानों की समस्या नोट‍ की है और सीड की क्वाल‍िटी पर काम करने का का भरोसा द‍िलाया है.  

पुणे में केंद्रीय कृष‍ि सच‍िव से म‍िलते क‍िसान संगठनों के प्रत‍िन‍िध‍ि (Photo-Shriram Gadve).
पुणे में केंद्रीय कृष‍ि सच‍िव से म‍िलते क‍िसान संगठनों के प्रत‍िन‍िध‍ि (Photo-Shriram Gadve).

सीड टेस्ट‍िंग कौन करे? 

गाडवे का कहना है क‍ि देश में सीड टेस्ट‍िंग लैब बहुत कम हैं. क‍िसान कहां जाएगा चेक करवाने. टमाटर का बीज सवा से डेढ़ लाख रुपये प्रत‍ि क‍िलो तक है. कुछ क‍िसान सीड लाकर पौधे तैयार करने के ल‍िए नर्सरी डालते हैं तो कुछ नर्सरी से सीधे पौधे खरीदते हैं. न तो नर्सरी लगाने वाले बीज कंपन‍ियों से ब‍िल लेते हैं और न तो नर्सरी वाले क‍िसानों को ब‍िल देते हैं. ऐसे में क‍िसान की फसल में वायरस आने या रोग लगने के बाद भी वो कानूनी तौर पर कुछ कर नहीं पाता. जब फसल तैयार होने को होती है तब जाकर पता चलता है क‍ि इस फसल में वायरस है. तब तक क‍िसान की लागत लग चुकी होती है. इसल‍िए कृष‍ि मंत्रालय के अध‍िकार‍ियों को खुद सैंपल उठाकर उसे चेक करवाना चाह‍िए. 

ये भी पढ़ें- Tomato Price: प्याज के बाद अब टमाटर भी फेंक रहे किसान, सिर्फ 2 रुपये किलो रह गया भाव

सब्स‍िडी नॉर्म्स र‍िवाइज्ड करने की मांग 

इस मौके पर कन्फेडरेशन ऑफ इंड‍ियन हर्ट‍िकल्चर (CIH) के अध्यक्ष सोपान कंचन ने बागवानी फसलों पर दी जाने वाली सब्स‍िडी के नॉर्म्स को र‍िवाइज्ड करने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा क‍ि नेशनल हर्ट‍िकल्चर बोर्ड के जो सब्स‍िडी के न‍ियम हैं उन्हें बदला जाना चाह‍िए ताक‍ि क‍िसानों को ज्यादा मदद म‍िल सके. सब्स‍िडी के नार्म्स पुराने हैं जबक‍ि महंगाई की वजह से लागत बढ़ गई है. इस मौके पर संतरा उत्पादक संघ के अध्यक्ष धनंजय टोटे भी मौजूद रहे. 

टमाटर का दाम बढ़ने की उम्मीद

वेज‍िटेबल ग्रोवर्स एसोस‍िशन के अध्यक्ष श्रीराम गाडवे ने कहा क‍ि प‍िछले पांच महीने से टमाटर का भाव उठ नहीं रहा था. क्योंक‍ि आवक अच्छी थी. टमाटर की उत्पादन लागत 12 रुपये प्रत‍ि क‍िलो तक है जबक‍ि क‍िसानों को मंडी में स‍िर्फ 3 से 7 रुपये प्रत‍ि क‍िलो का ही दाम म‍िल रहा था. लेक‍िन, शुक्रवार को थोड़ी तेजी द‍िखी और महाराष्ट्र की कई मंड‍ियों में क‍िसानों को 11 रुपये प्रत‍ि क‍िलो तक का भाव म‍िला. उम्मीद है क‍ि आने वाले द‍िनों में क‍िसानों को अच्छा दाम म‍िलेगा. अगर हमारा प्रोडक्शन ठीक होने लगे और कम से कम 15 रुपये का दाम म‍िले तब जाकर थोड़ा फायदा होगा. हालांक‍ि, अभी तक प्याज का दाम नहीं उठ रहा है यह क‍िसानों के ल‍िए च‍िंता का व‍िषय बना हुआ है.