दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) के एमडी डॉ. यूएस अवस्थी ने दावा किया है कि नैनो यूरिया प्लस में सिर्फ नाइट्रोजन नहीं बल्कि इसमें सल्फर, मैग्नीशियम, बोरॉन, मैंगनीज़ और एमिनो एसिड भी शामिल है. इसलिए यह सामान्य यूरिया के मुकाबले खेती के लिए बेहतर है. पौधों को सामान्य डीएपी सिर्फ 20 और यूरिया 30 फीसदी ही मिल पाती है. बाकी का नुकसान हो जाता है. जबकि नैनो यूरिया और डीएपी की एफिशिएंसी सामान्य यूरिया-डीएपी से 95 फीसदी ज्यादा है. डॉ. अवस्थी नई दिल्ली स्थित इफको सदन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
अवस्थी ने कहा कि नैनो डीएपी और यूरिया का इस्तेमाल करने से पौधों की जड़ें ज्यादा गहराई तक जाती हैं, इसलिए अचानक तेज बारिश या हवा चलने से पौधे गिरेंगे नहीं और नुकसान कम होगा. इससे फसलों का दाना मोटा होगा जिससे उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को फायदा मिलेगा. नैनो फर्टिलाइजर को लेकर किसानों के मन में जितने भी सवाल हैं उसका जवाब देने के लिए इफको जल्द ही एक कॉल सेंटर बनाएगा. इसे कई क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू किया जाएगा. भोजपुरी बोली में भी जवाब जानने की सुविधा होगी.
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एमडी ने बताया कि नैनो फर्टिलाइजर की टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड (RCF), नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (NFL) और गुजरात के एक प्राइवेट प्लेयर को ट्रांसफर की गई है. किसानों की आय बढ़ाने और धरती की सेहत सुधारने के लिए यह एक नेक काम है. नैनो फर्टिलाइजर हम पैसे बनाने के लिए नहीं बना रहे. प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग के अलावा नैनो यूरिया और डीएपी को बढ़ावा देने के लिए हम हर साल करीब 300 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं.
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अवस्थी ने बताया कि नैनो यूरिया और डीएपी को अभी तक ड्रिप सिस्टम के लिए रिकमेंड नहीं किया गया गया है. अभी हम लोग यह कह रहे हैं कि किसान पारंपरिक डीएपी और यूरिया से इसे करीब 50 फीसदी तक रिप्लेस करें. अभी इसका बेसल डोज न दें, सिर्फ टॉप ड्रेसिंग करें. नैनो फर्टिलाइजर के बेसल डोज को लेकर इफको रिसर्च कर रहा है. आज नहीं तो कल हम इसका बेसल डोज भी लाएंगे. जिस दिन यह सफलता मिल गई उस दिन हम किसानों से कहेंगे कि पारंपरिक यूरिया और डीएपी को छोड़ दीजिए. उर्वरकों की बेसल डोज बुवाई से पहले या तुरंत बाद में फसल के आधार के पास मिट्टी में दी जाती है. जबकि टॉप ड्रेसिंग फसल के विकास चरणों के दौरान आधार उर्वरक के पूरक के रूप में और बदलती पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाती है. अब ड्रोन के जरिए स्प्रे करके इसे दिया जा रहा है. किसान नैनो डीएपी में बीज को मिलाकर बुवाई कर दें तो अच्छा रहेगा. पौधों कक नाइट्रोजन और फास्फोरस मिल जाएगा.
नैनो फर्टिलाइजर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और नीदरलैंड के दो वैज्ञानिकों द्वारा उठाए गए सवाल पर अवस्थी ने कहा कि अमेरिका, ब्राजील और नेपाल सहित 25 देशों में इसका एक्सपोर्ट हो रहा है. नीदरलैंड में भी इसे मान्यता है.
अब तक 500 एमएल वाली नैनो यूरिया की 8400 बोतल अमेरिका को एक्सपोर्ट की गई है. जबकि 5000 बोतल जाम्बिया भेजी गई है. इन देशों में फ्री मार्केट है, फर्टिलाइजर पर कोई सब्सिडी नहीं है, इसलिए वहां के किसानों को नैनो यूरिया और डीएपी का आर्थिक लाभ ज्यादा है.
अवस्थी ने कहा कि पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की बात नहीं करूंगा कि उसने क्यों इसके खिलाफ बोला लेकिन बाकी सारे कृषि विश्वविद्यालय इसको रिकमेंड कर रहे हैं. इसकी तारीफ कर रहे हैं.
इफको के एमडी ने कहा कि उनके पास इस समय सालाना 17 करोड़ बोतल नैनो यूरिया और 6 करोड़ बोतल डीएपी बनाने की क्षमता है. अभी तक उत्पादन क्षमता का सिर्फ 15 फीसदी ही यूटिलाइजेशन हो पा रहा है. इसको बढ़ाने की कोशिश जारी है.
इसी कड़ी में हम ड्रोन से नैनो फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं. अब तक 2.4 लाख एकड़ में नैनो यूरिया और डीएपी का ड्रोन से छिड़काव करने का प्रदर्शन किया जा चुका है. हमने 4 करोड़ एकड़ में प्रदर्शन करने का लक्ष्य रखा था, जबकि अब इसे रिवाइज करके एक करोड़ एकड़ कर दिया है. जल्द ही माइक्रो न्यूट्रिएंट भी नैनो अवतार में आएंगे.
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