उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में आम के मंजर और फल लगने की प्रक्रिया का सीजन है. आम के पेड़ में अब धीरे-धीरे मंजर से आम के टिकोले बनने की शुरुआत होगी. आम के मंजर और फल का अभी सही समय चल रहा है. इसके बाद आम के पेड़ों में धीरे-धीरे फल का आकार बढ़ता जाएगा. इन फलों को पेड़ों पर सुरक्षित रखकर ही बेहतर और उपज ली जा सकती है. नहीं तो साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाएगा. मंजर की अवस्था से लेकर टिकोले बनने तक का समय सबसे संवेदनशील होता है क्योंकि इस अवस्था पर कीट और बीमारी के कारण आम के फल गिरने और झड़ने की समस्या ज्यादा होती है.
डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, बिहार के डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी हेड डॉ एस.के. सिंह ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि कृषि मंत्रालय के वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 2316.81 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आम की बागवानी हुई है, जिससे लगभग 20385.99 हजार टन उत्पादन होता है. आम की राष्ट्रीय औसत उत्पादकता 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है. बेहतर प्रबंधन से इससे काफी ज्यादा बढ़ाया जा सकता है. आम में मंजर लगने से लेकर टिकोले तक अगर बेहतर प्रबंधन किया जाए, तो आम उत्पादकता बढ़ जाएगी. आम की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि मंजर ने टिकोला लगने के बाद बाग का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया जाए.
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डॉ एस.के. सिंह ने बताया, आम के फूल के अच्छी प्रकार से खिल जाने के बाद से लेकर फल के मटर के दाने के बराबर होने की अवस्था के मध्य किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि रसायनिक दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. अन्यथा फूल के कोमल हिस्से घावग्रस्त हो जाते हैं. इससे फल बनने की प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित होती है. मटर के दाने के बराबर फल हो जाने के बाद से मधुवा और चूर्णिल आसिता रोग का खतरा रहता जिससे फल को काफी नुकसान होता है. इसके रोकथाम के लिए इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एस0एल0) 1 मिली लीटर दवा को प्रति दो लीटर पानी में या हैक्साकोनाजोल दवा को 1 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में या डाइनोकैप (46 ई0सी0) 1 मिली दवा प्रति 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. इससे कीट और रोग की रोकथाम हो जाती है.
विशेषज्ञ डॉ एस.के. सिंह के अनुसार, आम के फल को गिरने और झड़ने से बचाने के लिए प्लेनोफिक्स नामक दवा को 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है. इस अवस्था में हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए जिससे बाग की मिट्टी में नमी बनी रहे. लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आस पास जलजमाव न हो. अगर आम के पेड़ की आयु 10 साल या 10 साल से ज्यादा है, तो उसमें 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट, 850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश के साथ ही 25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर डालना चाहिए.
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डॉ एस.के. सिंह ने बताया कि सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान की मात्रा ज्यादा हो, उसको 2 ग्राम सूक्ष्मपोषक तत्व प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है और फल की गुणवत्ता बेहतर होती है. बाग में हल्की-हल्की सिंचाई करके मिट्टी को हमेशा नम बनाए रखना चाहिए, इससे फल की बढ़ावर अच्छी होती है. बाग को साफ सुथरा रखना चाहिए. गुठली बनने की अवस्था पर बोरर कीटों के नियंत्रण के लिए थियाक्लोप्रिड रासायनिक कीटनाशकों का स्प्रे करने से आम फलों के बोरर्स को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, या क्लोरिपायरीफॉस दवा 2.5 मिली प्रति लीटर पानी का स्प्रे करने से भी आम के फल के छेदक कीट को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकता है. इसके अलावा, फल मक्खी कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए फेरोमैन ट्रैप @15/हेक्टेयर की दर से लगाए जा सकते हैं.
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