चीनी उत्पादन में बंपर बढ़ोतरीइस सीजन में अब तक भारत का चीनी उत्पादन 28.33 प्रतिशत बढ़कर 77.90 लाख टन हो गया है. इसे देखते हुए कोऑपरेटिव मिलों का फेडरेशन सरकार से न्यूनतम बिक्री मूल्य (SAP) बढ़ाने का आग्रह कर रहा है. साथ ही चेतावनी दे रहा है कि गिरती बाजार दरें और बढ़ती लागत किसानों के भुगतान के लिए खतरा बन रही हैं.
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF), जो सहकारी चीनी मिलों का प्रतिनिधित्व करता है, ने कहा कि सीजन शुरू होने के बाद से एक्स-मिल चीनी की कीमतें लगभग 2,300 रुपये प्रति टन गिर गई हैं, और अब मजबूत उत्पादन के बावजूद लगभग 37,700 रुपये प्रति टन पर बनी हुई हैं.
NFCSF के आंकड़ों के अनुसार, 15 दिसंबर तक, देश की 479 चालू चीनी मिलों ने 77.90 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि एक साल पहले 473 मिलों ने 60.70 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था.
फेडरेशन ने एक बयान में कहा कि गन्ने की पेराई 25.6 प्रतिशत बढ़कर 900.75 लाख टन हो गई है. देश के टॉप चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 16.80 लाख टन से 31.30 लाख टन हो गया, जबकि उत्तर प्रदेश का उत्पादन 22.95 लाख टन से बढ़कर 25.05 लाख टन हो गया.
कर्नाटक का उत्पादन 2025-26 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के 15 दिसंबर तक बढ़कर 13.50 लाख टन से 15.50 लाख टन हो गया.
फेडरेशन ने सरकार से न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाकर 41 रुपये प्रति किलोग्राम करने और अतिरिक्त 5 लाख टन चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देने का आग्रह किया है, जिससे उसका अनुमान है कि लगभग 20 अरब रुपये का राजस्व मिलेगा.
फेडरेशन ने मौजूदा सीजन के लिए 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने के सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन कहा कि इससे अकेले मिलों के सामने आने वाले नकदी संकट का समाधान नहीं होगा.
फेडरेशन ने कहा कि इस सीजन में मिलों पर गन्ने के भुगतान की 1.30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी है, जबकि अतिरिक्त स्टॉक से लगभग 28,000 करोड़ रुपये की पूंजी फंस सकती है.
फेडरेशन ने कहा कि इस सीजन में मिलों पर गन्ने के भुगतान की 1.30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी है, जबकि अतिरिक्त स्टॉक से लगभग 28,000 करोड़ रुपये की पूंजी फंस सकती है. NFCSF के प्रेसिडेंट हर्षवर्धन पाटिल ने कहा, "सहकारी चीनी मिलों के मालिक लाखों किसान हैं, और मौजूदा गति को बनाए रखने के लिए सरकार के समर्थन की जरूरत है." फेडरेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खाद्य मंत्री को जरूरी पॉलिसी उपायों के लिए प्रस्ताव सौंपे हैं.
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