
भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत अमेरिका में चावल की डंपिंग कर रहा है. भारत ने कहा है कि जो चावल वह निर्यात करता है, वह मुख्यतौर पर प्रीमियम ग्रेड बासमती होता है. इसकी कीमत आमतौर पर गैर बासमती से ज्यादा होती है. ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारतीय चावल पर और टैरिफ लगाए जा सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने भारत पर अमेरिकी बाजार में अपनी खेप 'डंप' करने का आरोप लगाया था.
डंपिग दरअसल वह प्रैक्टिस है जिसमें किसी उत्पाद को उसकी सामान्य कीमत से कम कीमत पर निर्यात किया जाता है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने भारतीय व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल के हवाले से बताया, 'हमें डंपिंग का कोई शुरुआती मामला नहीं दिखता है और जहां तक हमें पता है, अमेरिका ने भी कोई एंटी-डंपिंग जांच शुरू नहीं की है.' इस साल अगस्त में, ट्रंप ने भारत से आयात पर टैरिफ दोगुना करके 50 फीसदी तक कर दिया था. इससे कपड़ा, केमिकल और झींगा जैसे खाद्य पदार्थों के निर्यात पर असर पड़ा.
दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने मार्च में खत्म हुए 2024-25 वित्तीय वर्ष में 20.2 मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया, जिसमें से 335,554 टन अमेरिका को भेजा गया, जिसमें से 274,213 टन बासमती चावल था. अग्रवाल के नेतृत्व वाली एक टीम ने पिछले हफ्ते दिल्ली में अमेरिकी उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर से मुलाकात की और प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत सहित द्विपक्षीय व्यापार पर चर्चा की.
भारत में ट्रेडर्स का कहना है कि भारत के कुल लगभग 2.1 करोड़ टन चावल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है. प्रेम गर्ग ने बताया कि अमेरिका को बासमती चावल का एक्सपोर्ट देश के सालाना छह मिलियन टन शिपमेंट का 3 प्रतिशत से भी कम है, जबकि भारत के कुल चावल एक्सपोर्ट, करीब 21 मिलियन टन, में अमेरिका का हिस्सा एक प्रतिशत से भी कम है. उन्होंने कहा, 'हमारे कुल निर्यात बास्केट में अमेरिकी बाजार बहुत बड़ा नहीं है और बाकी नए बाजारों में भी निर्यात लगातार बढ़ रहा है.'
भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चावल निर्यात का 40 प्रतिशत हिस्सा सप्लाई करता है और 172 देशों को चावल भेजता है. भारतीय चावल की मांग लगातार मजबूत बनी हुई है. जहां खाड़ी देश बासमती चावल के लिए प्रमुख बाजार बने हुए हैं, वहीं अफ्रीकी देश तेजी से उभरते खरीदार के रूप में सामने आए हैं. गर्ग ने बताया कि उदाहरण के तौर पर बेनिन ने पिछले साल 60 हजार टन से ज्यादा बासमती चावल का आयात किया, जो एक नया बाजार है और 'बहुत तेजी से' बढ़ रहा है.
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