काली मिर्च जहां एक ओर इलायची की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है तो वहीं काली मिर्च की खेती कर रहे किसानों से चहरे पर इस वक़्त खुशी की लहर है. सबरीमाला तीर्थयात्रा के मौसम ने 2022 के अंत में काली मिर्च की खेती करने वाले किसानों को खुश कर दिया है. उपज से प्राप्त की जा रही बेहतर मूल्य से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं. वहीं व्यापारियों का कहना है कि किसान 500 ग्राम काली मिर्च का पैकेट तीर्थयात्रियों को 500 रुपए में बेच रहे हैं. पिछले 2 महीने से चल रही इस यात्रा का समापन 14 जनवरी को होगा. ऐसे में अभी काली मिर्च की कीमत और बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है.
कृषक समुदाय के अनुसार केरल में नए सीजन की फसल की आवक शुरू हो गई है. ऐसे में जिन लोगों के पास पुरानी फसल है, वे तीर्थयात्रा समाप्त होने से पहले कीमतों में गिरावट के डर से फसल को जल्द से जल्द बेचने का काम कर रहे हैं. फसलों की नीलामी में 20-25 टन के औसत व्यापार के साथ, व्यापारियों का कहना है कि बिना गार्बल्ड काली मिर्च की कीमतें 496 प्रति किलोग्राम थी जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में 2023 उत्पादन में 10-15% की गिरावट का अनुमान है.
इस पूरे मामले पर भारतीय काली मिर्च और मसाला व्यापार संघ (आईपीएसटीए) के अध्यक्ष किशोर शामजी ने कहा कि वर्ष 2022 अच्छा रहा और कीमतें 500 रुपये प्रति किलोग्राम के स्थिर स्तर पर बनी रही है क्योंकि भारतीय काली मिर्च की कीमतें 6,500 डॉलर प्रति टन के उच्च स्तर पर है.
भारत, अमेरिका और चीन की तरह काली मिर्च के प्रमुख उपभोक्ता देशों में से एक है. इसलिए, देश में शिपमेंट घरेलू बाजार की कीमतों को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब तस्करी के आयात सीमाओं के माध्यम से बढ़ रहे हों. आकड़ों के मुताबिक नवंबर में काली मिर्च का आयात 1,531 टन रहा है. वहीं सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ घरेलू बाजार में मसाला निर्माताओं, अंतर-राज्यीय डीलरों और निर्यातकों के स्टॉक को कवर करने के साथ अच्छी मांग देखी जा रही है. हरी मिर्च की अच्छी मांग है क्योंकि इसके फार्म गेट की कीमतें 130 से बढ़कर 150 पहुंच गयी है. भारत के अलावा अन्य देशों में भी काली मिर्च की अच्छी मांग देखी जा रही है.
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