ऐसे तो झींगा एक्सपोर्ट में आंध्रा प्रदेश से पिछड़ जाएंगे दूसरे राज्य , जानें वजह 

ऐसे तो झींगा एक्सपोर्ट में आंध्रा प्रदेश से पिछड़ जाएंगे दूसरे राज्य , जानें वजह 

ओडिशा में 8 फीसद, पश्चिसम बंगाल में 10, गुजरात 6, तमिलनाडू 4 और महाराष्ट्रा में 2 फीसद झींगा का उत्पादन होता है. इसके अलावा उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा में झींगा का पालन खूब हो रहा है अब तो राजस्थान के चुरू तक में किसान झींगा पालन कर रहे हैं. 

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ऐसे तो झींगा एक्सपोर्ट में आंध्रा प्रदेश से पिछड़ जाएंगे दूसरे राज्य , जानें वजह झींगा मछली का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट- मनोज शर्मा

आंध्रा प्रदेश के बाद अगर सबसे ज्यादा झींगा उत्पादन कहीं होता है तो वो राज्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडू और महाराष्ट्रा हैं. इसके अलावा उत्तर भारत में हरियाणा, पंजाब और यूपी में भी होता है. लेकिन आंध्रा प्रदेश से जुड़ी एक खबर के बाद अन्य राज्यों में झींगा उत्पादन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. यह खतरा झींगा उत्पादन से जुड़ी लागत का है. आंध्रा प्रदेश सरकार ने मछली पालकों को बिजली के रेट में बड़ी सब्सिडी देने का ऐलान किया है. इससे पहले भी दूसरे राज्यों के मुकाबले मछली पालकों को यहां बिजली सस्ते रेट पर मिल रही थी.

झींगा का बीज भी अन्य राज्यों के मुकाबले आंध्रा प्रदेश में काफी सस्ता है. डॉ. मनोज शर्मा की मानें तो गुजरात में करीब 28 हजार टन झींगा उत्पादन होता है. लगभग 1900 झींगा किसान झींगा पालन कर रहे हैं. वहीं झींगा पालन से अकेले गुजरात में ही करीब 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.  

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आंध्रा प्रदेश में 1.5 तो गुजरात में 8 रुपये है बिजली का रेट 

गुजरात के रहने वाले झींगा एक्सपर्ट और फिश के डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि देश के कुल झींगा उत्पादन का 70 फीसद हिस्सा आंध्रा प्रदेश में होता है. रेट के मामले में शुरू से ही आंध्रा प्रदेश दूसरे राज्यों को टक्कर देता रहा है. लेकिन आंध्रा प्रदेश में लागू हुए नए बिजली रेट ने दूसरे राज्यों के झींगा पालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. अभी तक आंध्रा प्रदेश में मछली पालकों को चार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिल रही थी. जबकि गुजरात में मछली पालकों को आठ रुपये यूनिट के हिसाब से बिजली मिल रही थी. 

झींगा मछली का तालाब. फोटो क्रेडिट- मनोज शर्मा
झींगा मछली का तालाब. फोटो क्रेडिट- मनोज शर्मा

लेकिन हाल ही में आंध्रा सरकार ने मछली पालकों के लिए बिजली के रेट और घटा दिए हैं. चार रुपये प्रति यूनिट से अब सीधे 1.5 रुपये प्रति यूनिट कर दिए गए हैं. इसका सीधा फायदा झींगा पालकों को भी मिलेगा. झींगा पालन में कई उपकरण ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल तालाब पर रात-दिन होता है और वो बिजली से चलते हैं. 

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झींगा के बीज के रेट में भी है बड़ा अंतर 

डॉ. मनोज शर्मा बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि आंध्रा प्रदेश बिजली के रेट के चलते ही दूसरे राज्यों को टक्कर देता है. आंध्रा प्रदेश में झींगा के बीज की बहुत सारी हैचरी भी हैं. झींगा का विदेशी बीज भी आंध्रा प्रदेश में ही मिलता है. झींगा का जो बीच आंध्रा प्रदेश में 30 पैसे का एक मिलता है, वही बीज गुजरात में 60 पैसे का है. जबकि उत्तर भारत में यही बीज 90 पैसे से लेकर एक रुपये तक का पड़ता है. अगर फीड की बात करें तो आंध्रा प्रदेश में झींगा का जो फीड 85 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है वहीं गुजरात में 105 रुपये किलो है.  

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