केंद्र में ओबीसी के आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर के जाट पिछले 23 दिनों से महापड़ाव पर बैठे हुए है. उनकी ओर से बुधवार 7 फरवरी को मुंबई दिल्ली रेलवे ट्रैक पर चक्का जाम का एलान किया गया था, लेकिन मंगलवार को राज्य सरकार और जाट प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई बातचीत के बाद फिलहाल चक्का जाम को स्थगित कर दिया गया है, लेकिन महापड़ाव जारी रहेगा. इस मामले को लेकर राज्य सरकार ने जाट प्रतिनिधिमंडल को लिखित में दिया है कि तीन दिनों के अंदर केंद्र सरकार के साथ जाट प्रतिनिधिमंडल की वार्ता के लिए दिल्ली में बैठक होगी.
भरतपुर धौलपुर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार के नेतृत्व में आठ सदस्यों की कमेटी और राजस्थान सरकार की कमेटी के बीच जयपुर में बीते मंगलवार को वार्ता हुई थी. इस बैठक में राज्य सरकार की तरफ से मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, मंत्री अविनाश गहलोत, गृह सचिव आनंद कुमार,समाज कल्याण विभाग के सचिव हेमंत गेरा ने भाग लिया था.
जयपुर के विद्युत भवन में राज्य सरकार की कमेटी और भरतपुर, धौलपुर आरक्षण संघर्ष समिति के बीच वार्ता हुई थी. जिसमें राज्य सरकार की कमेटी ने कहा कि 3 दिनों के अंदर राज्य सरकार केंद्र सरकार से बात करेगी. वहीं राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के मंत्री सहित सचिव से भी बात करेगी. राज्य सरकार द्वारा भरतपुर, धौलपुर जिलों के जाटों को केंद्र की ओबीसी में आरक्षण देने के लिए वर्ष 2020 में राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को सिफारिस चिट्ठी भेज दी गई थी. अब इस बात की तहकीकात की जाएगी कि आरक्षण कहां रुका हुआ है और यदि राज्य सरकार द्वारा भेजी गई तथ्यात्मक रिपोर्ट में और कोई संशोधन करना है तो वह राज्य सरकार करेगी.
भरतपुर,धौलपुर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा कि वह पहले ही तय कर चुके हैं कि जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा तब तक महापड़ाव जारी रहेगा. फिलहाल राज्य सरकार के साथ वार्ता हुई है और उनको सरकार ने लिखित में दिया है कि तीन दिनों के अंदर वार्ता कराई जाएगी. इसलिए फिलहाल चक्का जाम को स्थगित कर दिया है लेकिन महापड़ाव जारी रहेगा. वहीं महापड़ाव स्थल पर जो 21 लोग तीन दिन से अनशन कर रहे थे उनका अनशन ख़त्म करा दिया गया है. सरकार ने उनको आश्वासन दिया है कि आरक्षण रोकने के क्या कारण रहे हैं और क्या तकनीकी वजह रही है. उस पर काम किया जाएगा खासकर यदि कुछ संशोधन करना है तो उसको भी किया जाएगा. (सुरेश फौजदार की रिपोर्ट)
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