हॉकी, फुटबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों को तो वैश्विक स्तर पर पहचान मिलती है लेकिन भारत के ग्रामीण परिवेश में खेले जाने खेल गांवों की पुलिया तक ही सीमित रह जाते हैं. मगर पंजाब में लुधियाना के किला रायपुर एक ऐसी जगह है जहां हॉकी, रनिंग और कबड्डी से लेकर गांवों में खेले जाने वाले गिल्ली-डंडा और गिटा पत्थर जैसे खेलों का भी एक ग्रामीण ओलिंपिक चल रहा है. ग्रामीण खेलों का ये उत्सव मिनी ओलिंपिक के नाम से भी मशहूर है. किला रायपुर में ग्रामीण ओलिंपिक का आगाज शुक्रवार 31 जनवरी को हुआ और ये 2 फरवरी तक चलेगा.
दरअसल, मिनी ओलिंपिक के नाम मशहूर इस खेल आयोजन में देशभर से 6500 से ज्यादा खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं. इनमें महिला और पुरुष दोनों की टीमें हिस्सा ले रही हैं. इसमें हॉकी और कबड्डी जैसे खेलों के अलावा ग्रामीण भारत में प्रसिद्ध गिल्ली-डंडा जैसे खेलों को भी जगह दी गई है. बता दें कि इस मिनी ओलिंपिक में 70 से 75 साल के बुजुर्गों की अलग से दौड़ कराई जाएगी. वहीं ट्रैक्टर के बड़े-बडे़ टायर्स को रोल ऑन करने वाली दौड़ होनी है. इसमें ग्रामीण खेल, आधुनिक खेल और परफॉर्मेंस स्पोर्ट्स शामिल हैं. 4 दिनों तक चलने वाले इस खेल उत्सव को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
किला रायपुर में चल रहे ग्रामीण ओलिंपिक के आयोजक करन सिंह ने बताया कि पुरुष और महिला हॉकी टूर्नामेंट में 8-8 टीमें हिस्सा ले रही हैं. इसके अलावा आज यानी पहले दिन बाजीगर, एक्रोबैट जैसे खेल हुए. बता दें कि बाजीगर उनको कहते हैं, जो बंजारू के करतब दिखाते हैं. इसमें मटका रेस, 100 मीटर रन और कबड्डी प्रतियोगिता भी हुई है.
किला रायपुर रूरल ओलिंपिक के पहले ही दिन खिलाड़ियों ने रिकॉर्ड की झड़ी लगा दी. बता दें कि 1500 मीटर की रेस में छोटे-छोटे बच्चों ने हिस्सा लिया. इस दौड़ में मेरठ की शहीद भगत सिंह एकेडमी की 9 साल की एक बच्ची ने रिकॉर्ड बनाया. इस लड़की ने अंडर-10 में 1500 मीटर की गर्ल्स रेस को 5.41 मिनट में दौड़कर पूरा कर लिया. जबकि पहले ये रिकॉर्ड 6.12 मिनट का था.
इस ग्रामीण ओलिंपिक में बंजारों ने एक खेल में खूब करतब भी दिखाए. बंजारे जमीन के अंदर 2 लकड़ियों को गाड़ देते हैं और फिर उसके आगे मिट्टी का ढेर लगा होता है. इस ढेर के ऊपर पैर रखकर एक सामने रखी खाट पर कूदना होता है.
कोकला छपकी-
इसे खेलने के लिए सभी खिलाड़ी पहले गोलाई में बैठते हैं और उनमें से एक खिलाड़ी कपड़ा लेकर खड़ा होता है. जो खिलाड़ी बैठे हुए हैं वे पीछे नहीं देख सकते हैं. कपड़ा लेकर चलने वाला खिलाड़ी सभी बैठे हुए खिलाड़ियों के पीछे घूमता है. इसी दौरान खिलाड़ी उस कपड़े को किसी एक बैठे हुए खिलाड़ी के पीछे रख देता है. फिर जिसके पीछे कपड़ा रखा जाता है वो खिलाड़ी कपड़ा रखने वाले को पकड़ने के लिए दौड़ता है. इसी दौरान पीछे दौड़ रहे खिलाड़ी की जगह पहले वाले खिलाड़ी को बैठना होता है. इस दौरान अगर वो पकड़ा जाता है तो आउट हो जाएगा.
गिटा पत्थर-
इस खेल में 5 छोटे पत्थरों को काम होता है. सबसे पहले सभी पत्थरों के टुकड़ों को उछाला जाता है. इसके बाद एक-एक करके उठाया जाता है. इसमें से फिर एक पत्थर को उछाला जाएगा और इसी दौरान नीचे पड़े पत्थरों को इकट्ठा करना होता है. इसके बाद उछाले गए पत्थर को कैच करना होता है. इस तरह से इसमें पहले एक-एक पत्थर उठाना होता है, फिर दो-दो पत्थर और फिर आखिर में सभी पत्थर एक साथ उठाने होते हैं.
किकली-
इस गेम में दो लोग आमने-सामने होंगे और एक दूसरे के हाथ पकड़ लेते हैं और गोल-गोल घूमते हैं. ऐसे ही घूमते हुए जो खिलाड़ी गिर जाता है, वह आउट माना जाता है.
गिल्ली डंडा-
ग्रामीण इलाकों में हर कोई गिल्ली डंडा का खेलता है. यह खेल ग्रामीण इलाकों में बहुत लोकप्रिय है. इस खेल में लकड़ी की एक बड़ी छड़ी होती और दूसरी छोटी होती है जिसके दोनों कोने नुकीले होते हैं जिसे गिल्ली कहते हैं. गिल्ली के किनारे पर डंडे से मारते ही ये हवा में उछलती है और फिर ऐसे में ही डंडे से शॉट लगाया जाता है.
ट्रैक्टर रेस-
रूरल ओलिंपिक में ट्रैक्टर रेस का भी आयोजन होता है. बता दें कि अभी रूरल ओलिंपिक में बैलों की रेस पर रोक लगी हुई है. इस वजह से ट्रैक्टर रेस की लोकप्रियता बड़ी है. ट्रैक्टर रेस को देखने के लिए हजारों लोग जुटते हैं.
रस्साकशी-
रस्साकशी प्रतियोगिता ताकत का प्रदर्शन है. जिस टीम में सबसे ज्यादा ताकतवर खिलाड़ी होते हैं, उनकी ही जीत होती है. इस खेल में रस्सी के बीच में कपड़ा बांध दिया जाता है और दोनों तरफ दो टीमें होती हैं. इसके बाद खींचतान शुरू होती है. जो टीम रस्सी को अपनी तरफ खींच लेती है, उसकी जीत होती है.
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