पोल्ट्री कारोबार देश को विकसित राष्ट्र बनाने में एक बड़ा सेक्टर साबित होगा. अभी पोल्ट्री कारोबार करीब 28 बिलियन डालर का है, लेकिन साल 2032 तक इसके 45 बिलियन डालर तक पहुंचने की पूरी उम्मीद है. ये कहना है पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर का. किसान तक से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि लेकिन मक्का तरक्की की राह में रोढ़ बन रही है. महंगी मक्का के चलते पोल्ट्री फीड के दाम बढ़ गए हैं. पोल्ट्री की लागत बढ़ती जा रही है. अंडा हो या चिकन अभी इनके वो दाम नहीं मिल पा रहे हैं जितनी लागत आ रही है.
बीते एक साल में ही पोल्ट्री फीड की कीमत में 14 फीसद की बढ़ोतरी हो गई है. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो पोल्ट्री फीड में सबसे ज्यादा इस्तेमाल मक्का का होता है. बाजार में मक्का के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी ऊपर हैं. उस पर भी सबसे बड़ी परेशानी ये है कि बाजार में मक्का की कमी भी महसूस होने लगी है. जिसका असर आगे चलकर पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडे और चिकन के रेट पर भी पड़ सकता है.
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रिकी थापर का कहना है कि बीते साल इन्हीं दिनों में पोल्ट्री फीड की कीमत 35 रुपये किलो थी. लेकिन आज ये 40 रुपये हो चुकी है. पोल्ट्री फीड में 60 से 65 फीसद मक्का का इस्तेमाल होता है. क्योंकि हर साल पोल्ट्री सेक्टर में बढ़ोतरी हो रही है तो मक्का की डिमांड भी बढ़ रही है. वहीं दूसरी ओर इथेनॉल में शामिल किए जाने की वजह से भी मक्का की डिमांड बढ़ गई है. डेयरी कैटल फीड, इंडस्ट्रीयल यूज और घरेलू खपत के लिए भी मक्का चाहिए. यही वो सारी वजह हैं जिसके चलते मक्का के दाम बढ़ रहे हैं और अब तो बाजारों में मक्का की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है.
रिकी थापर के मुताबिक बीते कुछ साल में मक्का के दाम बहुत बढ़े हैं. पोल्ट्री फीड तैयार करने में मक्का का रोल बड़ा है. इसी को देखते हुए कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (CLFMA) और पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) ने केन्द्र सरकार से देश में जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति मांगी है.
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वहीं वेट्स इन पोल्ट्री (वीआईवी) संस्था ने भी केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री को पत्र लिखकर मक्का आयात पर लगने वाली डयूटी खत्म करने या फिर कम करके 15 फीसद करने की मांग की है. इतना ही नहीं कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) भी केन्द्र सरकार से जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देने की बात कह चुकी है. ऑल इंडिया ब्रॉयलर ब्रीडर एसोसिएशन के चेयरमैन और आईबी ग्रुप के एमडी बहादुर अली भी इस मामले में पत्र लिख चुके हैं.
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