15 नवंबर को पीएम मोदी ने देशभर के 8 करोड़ से ज्यादा किसानों को पीएम किसान योजना (PM Kisan Yojana) के तहत 15वीं किस्त का तोहफा दिया है. अधिकांश किसानों के खाते में पैसा भेज दिया गया है. जिन किसानों के खाते में पैसे आ गए हैं उन्हें इसकी जानकारी एसएमएस के जरिए मिल गई होगी. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्हें अभी तक 15वीं किस्त का पैसा नहीं मिला है. अगर आप भी उनमें से एक हैं तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. बस आपको अपनी इन गलतियों को ठीक करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना (PM Kisan Yojana) के तहत कृषि विभाग द्वारा केंद्र सरकार को भेजे गए कुछ सत्यापित आवेदनों में पीएफएमएस के माध्यम से धनराशि ट्रांसफर करते समय निम्नलिखित त्रुटियां पाई गईं, जिसके कारण राशि हस्तांतरित नहीं की जा सकी और आवेदन को कैन्सल कर दिया गया है. गलती को ठीक करने के लिए उसे वापस भेजा गया है. ऐसे में आइये जानते हैं होने वाली उन पाँच गलतियों के बारे में.
ये भी पढ़ें: PM Kisan: अभी तक खाते में नहीं आई है 15वीं किस्त तो फटाफट करें ये काम, सारी परेशानी होगी दूर
• किसान का नाम “ENGLISH” में होना जरूरी है- जिन किसान का नाम आवेदन में “HINDI” में है, कृपया नाम संशोधित करें.
• आवेदन में आवेदक का नाम और बैंक अकाउंट में आवेदक का नाम भिन्न होना- किसान को अपने बैंक शाखा जा कर बैंक में अपना नाम आधार और आवेदन में दिये गए नाम के अनुरूप करना होगा.
• IFSC कोड लिखने में गलती.
• बैंक अकाउंट नंबर लिखने में गलती.
• गाँव के नाम में गलती.
उपर्युक्त सभी प्रकार की गलतियों में सुधार के लिए आधार सत्यापन जरूरी है. आधार सत्यापन के लिए किसान अपने निकटतम CSC/वसुधा केंद्र/ सहज केंद्र से संपर्क करें.
केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Yojana) दिसंबर 2018 में शुरू की गई थी. यह योजना किसानों को वित्तीय मदद प्रदान करती है और सालाना 6000 रुपये खाते में ट्रांसफर करती है. अब इस योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली राशि को बढ़ाने की मांग की जा रही है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Yojana) या पीएम किसान के तहत सरकार सभी पात्र किसानों को एक साल के दौरान निश्चित अंतराल पर तीन किस्तों में 6,000 रुपये देती है. यह पैसा सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today