दूध उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूध उत्पादन में भारत लगातार नंबर वन बना हुआ है. लेकिन अब दूध उत्पाादन बढ़ाने के साथ ही जरूरत है कि हम दूध और उससे बने प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर भी ध्यान दें. ये कहना है नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन मीनेश शाह का. शुक्रवार को बेग्लोंर में वो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लानटेशन मैनेजमेंट (आईआईपीएम) के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. देश में बढ़ते दूध उत्पा दन पर बोलते हुए उन्होंने ये भी बताया कि आज भारत की विश्व के कुल दूध उत्पादन में 24 फीसद की हिस्सेदारी है.
अगर इसी रफ्तार से हमारा दूध उत्पादन बढ़ता रहा तो आने वाले सात से 10 साल में विश्व बाजार के दूध उत्पादन में हमारी हिस्सेदारी 30 से 35 फीसद की होगी. लेकिन मीनेश शाह ने बढ़ते दूध उत्पादन के साथ ही एक्सपोर्ट को लेकर भी कई बड़ी बात कही हैं.
इसे भी पढ़ें: National Milk Day: घी को लेकर अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी ने कही बड़ी बात, पढ़ें डिटेल
पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 के दौरान देश में कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन अनुमानित है. अगर बीते पांच साल के दूध उत्पादन की बात करें तो 22.81 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई. आंकड़ों पर जाएं तो साल 2018-19 में दूध उत्पादन 187.75 मिलियन टन था, जबकि 2021-22 में ये आंकड़ा 221.6 मिलियन टन को छू चुका है और अब ये नंबर ऊपर बताए गए आंकड़े को भी छूने को तैयार है. इस बारे में मीनेश शाह का कहना है कि देश में दूध उत्पादन की रफ्तार को बनाए रखने के लिए अब ये जरूरी हो गया है कि हम दूध और दूध से बने प्रोडक्ट के ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट पर ध्यान दें.
इसे भी पढ़ें: Goat Milk: दूध के लिए पाली जाने वालीं बकरियों की नस्ल और उनकी कीमत, पढ़ें पूरी डिटेल
डेयरी मंत्रालय की साल 2022-23 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन हुआ था. इसमे सबसे ज्यादा 15.72 फीसद योगदान यूपी का है. जबकि बीते साल यूपी की हिस्सेदारी 14.93 फीसद थी. वहीं बीते साल इस दौड़ में 15.05 फीसद की हिस्सेदारी के साथ राजस्थान पहला नंबर पर था. लेकिन इस साल यूपी ने राजस्थान को पीछे छोड़ दिया है. बीते साल तीसरे, चौथे और पांचवे नंबर पर मध्य प्रदेश 8.60, गुजरात 7.56 और आंध्रा प्रदेश का 6.97 फीसद नंबर के साथ थे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today