
भरी महंगाई में कोई चीज सस्ती मिल जाए तो इससे अच्छी बात क्या होगी. वह भी खाने-पीने की चीज हो तो क्या ही कहने. उसमें भी किसी को सस्ती दाल मिल जाए तो इससे अच्छी बात क्या होगी. कुछ ऐसी ही राहत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बड़ी प्लानिंग की. प्लानिंग को नतीजे तक पहुंचाया और नेफेड-एनसीसीएफ को बड़ी जिम्मेदारी दी. जिम्मेदारी थी कि आम जनता को सस्ती दरों पर खाने की चीजें मुहैया कराई जाएं. इसका हालिया उदाहरण प्याज की बिक्री है. आपने देखा भी होगा कि जगह-जगह छोटी गाड़ियों में एनसीसीएफ के बैनर तले प्याज की बिक्री हुई. इसका प्रचार भी खूब हुआ. लोगों ने सरकार की तारीफ की. लेकिन अभी मामला ठंडा पड़ गया है. हालत ये है कि नेफेड के 106 में से 103 प्रोडक्ट अभी आउट ऑफ स्टॉक है.
सरकार ने महंगाई को सस्ताई में बदलने का जिम्मा नेफेड को दिया. नेफेड ने कुछ दिन पहले प्याज बेचा, अभी भी बेच रहा है. लेकिन उसका दायरा बढ़ाते हुए उसे हर चीज बेचने की ताकीद की गई जिसका इस्तेमाल आम आदमी अपने घरों में करता है. इस लिस्ट में दाल से लेकर चावल और नमकीन से लेकर मिठाइयां तक शामिल हैं. यह काम भी ऑनलाइन किया गया और पोर्टल के जरिये बिक्री शुरू हुई. आगाज तो बड़ा अच्छा रहा, लेकिन 'अंजाम' थोड़ा परेशान करने वाला है. ये परेशानी इसलिए है क्योंकि नेफेड के ऑनलाइन स्टोर में अधिकतर माल 'आउट ऑफ स्टॉक' हैं. यानी नेफेड ने ऑनलाइन स्टोर पर अपना सामान तो जरूर दिखा दिया है, लेकिन स्टोर खाली है.
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अगर भरोसा न हो तो आप खुद इसके ऑनलाइन पोर्टल पर विजिट कर सकते हैं. ऑनलाइन स्टोर में कितना माल उपलब्ध है, या नहीं है, यह जानने से पहले एक बार कैटेगरी देख लेते हैं. नेफेड की प्रोडक्ट कैटेगरी देखें तो इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की है. सरकार ऑर्गेनिक सामानों पर जोर दे रही है. लिहाजा नेफेड ने इसे आगे बढ़ाने का जिम्मा लिया है. यही वजह है कि ऑर्गेनिक मसाले से लेकर ऑर्गेनिक चावल, दाल, तेल और यहां तक कि चाय भी इसमें शामिल है.
दूसरी बड़ी कैटेगरी ओडीओपी है जिसमें नमकीन, शहद, मसाले, जूस और स्वीटनर शामिल हैं. सामान्य दालों में 17 प्रोडक्ट हैं. प्रीमियम टी में पांच, मसालों में 14, पाउडर्ड मसाले में 1, साबूत मसाले में 13, चावल में 8, सूखे मेवे में 14, स्वीटनर में 6 और नेफेड स्पेशल में 6 प्रोडक्ट हैं. लेकिन जब आप ऑर्डर करने चलें तो आपको प्रोडक्ट और कैटेगरी का अंदाजा हो जाएगा कि अधिकांश माल 'आउट ऑफ स्टॉक' हैं. इसका सीधा मतलब है कि अभी नेफेड के पास सामान नहीं है, जब आएगा तब वह बिक्री होगी. ऐसे में ग्राहक वही करेगा जैसा किसी दुकान पर करता है. खरीदारी करने जाता है, लेकिन मन मसोस कर वापस चला आता है. नेफेड पर अभी ऐसा ही चल रहा है.
नेफेड का ऑनलाइन पोर्टल दिखाता है कि अभी (खबर लिखते वक्त) ओडीओपी के 6 में से 5 प्रोडक्ट स्टॉक में नहीं हैं. ठीक ऐसे ही दालों के 17 में से एक भी प्रोडक्ट उपलब्ध नहीं है. चाय में 5 में सभी आउट ऑफ स्टॉक, मसाले में 14 में सभी आउट ऑफ स्टॉक हैं. इसी तरह चावल का भी कोई प्रोडक्ट अभी उपलब्ध नहीं है. सूखे मेवे में 14 में से एक भी उपलब्ध नहीं है. स्वीटनर में 6 में से 5, नेफेड स्पेशल में सभी 6, ऑर्गेनिक में सभी 30 और अन्य में 3 में से 2 प्रोडक्ट आउट ऑफ स्टॉक हैं. अब आप ही सोचिए कि क्या सस्ते प्रोडक्ट के नाम पर आम लोगों के साथ ये मजाक नहीं है?
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