बांदा जेल में सजा काट रहे मुख्तार अंसारी की कल रात मौत हो गई है. गुरुवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जेल से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. इस ताजा घटनाक्रम के बाद बांदा समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई. बांदा में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई, जबकि मेडिकल कॉलेज के बाहर डीएम और एसपी समेत जिले की फोर्स तैनात रही. मऊ और ग़ाज़ीपुर में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई. इस घटना के बाद पूरे जिले में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
बांदा के साथ-साथ यूपी के सभी जिलों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. ऐसे में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद यूपी के पूर्व डीएसपी ने क्या कहा आइए जानते हैं.
शैलेन्द्र सिंह ने विशेष बातचीत में कहा कि अच्छे और बुरे कर्मों को छोड़ना नहीं चाहिए. मुख्तार अंसारी के साथ जो कुछ हुआ वह उनके कर्मों का नतीजा है. शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक स्लो प्वाइजन देने की बात पूरी तरह से निराधार और मनगढ़ंत है. आज के दौर में कोई भी अधिकारी अपनी नौकरी दांव पर नहीं लगा सकता. शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक दरअसल मुख्तार अंसारी काफी डरा हुआ था और उसका डर जेल, अस्पताल और कोर्ट तक में दिख रहा था. मुख्तार को हर वक्त यह डर सता रहा था कि कोई ना कोई उसे जहर देकर मारना चाहता है और इसी डर में वह तिल तिल कर घुटता रहा और डर की वजह से उसकी मौत हुई है.
ये भी पढ़ें: Mukhtar Ansari: माफिया डॉन की मौत, बांदा जेल में पड़ा था दिल का दौरा
शैलेन्द्र सिंह को अपने पुराने दिन भी याद आये जो उस समय उनके साथ घटित हुआ था. शैलेन्द्र सिंह ने कैसे अपनी पत्नी और परिवार को बताए बिना नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे नौकरी छोड़ने के बाद मुझे आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा क्योंकि कोई मुझे घर देने को तैयार नहीं था, कोई नौकरी नहीं थी, कोई लोन नहीं मिल रहा था जिससे मैं कुछ रोजगार कर पाता. उस समय मुझे काम करना बहुत जरूरी था क्योंकि परिवार चलाना बहुत मुश्किल था मेरे लिए. लेकिन इस बात से मुझे राहत है कि मैंने जो फैसला लिया, वह बिल्कुल सही था.
शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक मुलायम सिंह यादव इस घटना से इतने नाराज थे, इतने चिढ़े हुए थे कि मेरी मदद करने की बात तो दूर, वो मेरी शक्ल तक नहीं देखना चाहते थे. शैलेन्द्र ने कहा कि पहले स्थिति अलग थी, अब सभी राजनीतिक दलों में यह समझ बन गयी है कि इन बाहुबलियों से दूर रहना ही बेहतर है. क्योंकि अब जनता इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती, आने वाले दिनों में मुझे उत्तर प्रदेश में ऐसा बाहुबली सिर उठाता हुआ नजर नहीं आता.
पूर्व DSP ने कहा, ' उस दौरान यूपी अल्पमत वाली मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. सरकार को मुख्तार अंसारी का समर्थन था. इसलिए सरकार ने दबाव बनाना शुरू किया कि मुख्तार अंसारी का नाम इस केस से निकालना है, लेकिन मैंने इनकार कर दिया. विवेचना में से नाम हटाने को कहा गया, लेकिन ये भी संभव नहीं था. ये सब रिकॉर्ड में था, तो इसे कैसे हटाया जा सकता था. फिर दबाव आया कि विवेचना दूसरे अधिकारी को सौंप देते हैं ताकि केस कमजोर हो जाए. लेकिन ऐसा हो नहीं सका तो अंत में मुझ पर ही आरोप लगे और मुझे 15 दिन बाद सरकारी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था. (कुमार अभिषेक की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today