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खेती से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को सीधे फंड देने की तैयारी, जान‍िए क्या होगा फायदा 

खेती से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को सीधे फंड देने की तैयारी, जान‍िए क्या होगा फायदा 

राज्य कृषि विश्वविद्यालय सीधे राज्य सरकार के अधीन आते हैं, इसल‍िए वो सीधे केंद्र से जुड़कर भी राज्यों को दरकिनार नहीं कर पाएंगे. अधिकारियों ने कहा कि विभाग को जो कुछ भी चाहिए, उसके लिए एसएयू के साथ संवाद हमेशा आईसीएआर या राज्य सरकार के माध्यम से ही नहीं होना चाहिए. 

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राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के काम को प्रभावी बनाने की तैयारी. राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के काम को प्रभावी बनाने की तैयारी.

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय खेती से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) को सीधे फंड देने की तैयारी कर रहा है. यह काम अब तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के माध्यम से किया जाता रहा है. एक अधिकारी ने कहा, "अगर एक कृषि विश्वविद्यालय कुछ शोध कार्य कर रहा है, तो अन्य राज्यों के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों को भी इसके बारे में पता नहीं चलता है. कभी-कभी तो एक ही राज्य के भीतर भी किसी को यह नहीं पता होता है कि दूसरा विश्वविद्यालय क्या गतिविधियां कर रहा है. ऐसे में बेहतर समन्वय के ल‍िए कृषि मंत्रालय ने पहली बार राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के कुलपतियों के साथ बैठक की. ज‍िसमें उन्हें विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों में शामिल करने की पेशकश की गई. अब तक यह सब आईसीएआर के माध्यम से होता रहा है.  

एक अध‍िकारी ने द ह‍िंदू ब‍िजनेस लाइन से कहा कि कृषि और किसान कल्याण विभाग को उस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने के बजाय कई योजनाओं के कार्यान्वयन पर बेहतर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां आईसीएआर को काम करने की अनुमति दी गई है. इस बैठक की अध्यक्षता कृष‍ि सचिव मनोज आहूजा ने की. बताया गया है क‍ि आईसीएआर का प्रमुख बड़ा अध‍िकारी इस बैठक में मौजूद नहीं था. 

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सरकारी प्रोजेक्ट के बेहतर पर‍िणाम म‍िलेंगे 

सूत्रों का कहना है क‍ि अधिकांश कुलपति प्रोजेक्ट के आधार पर सीधे धन प्राप्त करने के खिलाफ नहीं थे. हालांक‍ि, वे धन की कमी का सामना कर रहे हैं इसल‍िए वे सरकार के लिए किसानों के साथ विस्तार गतिविधियों को शुरू करने के इच्छुक नहीं थे. क्योंकि ऐसा मानना है क‍ि इससे शिक्षा प्रदान करने के उनके मुख्य कार्य में बाधा आएगी. सूत्रों ने कहा क‍ि सरकार का मानना है क‍ि विभिन्न सरकारी योजनाओं में अत्यधिक अनुभवी कृषि वैज्ञानिकों की भागीदारी से बेहतर परिणाम मिलेंगे.

राज्यों के अधीन रहेंगे, केंद्र से भी जुड़ेंगे 

राज्य कृषि विश्वविद्यालय सीधे राज्य सरकार के अधीन आते हैं, इसल‍िए वो सीधे केंद्र से जुड़कर भी राज्यों को दरकिनार नहीं कर पाएंगे. हालांकि, कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारी जिन्होंने एसएयू को शामिल करने का विचार किया था, उनका मानना ​​है कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां एक साथ काम करने की गुंजाइश है. अधिकारियों ने यह भी कहा कि एक बेहतर सुझाव है. एसएयू के साथ समन्वय से उन्हें र‍िसर्च एवं विकास गतिविधियों के दोहराव से बचने और नई तकनीक के विकास की ओर फिर से उन्मुख होने में मदद मिल सकती है.

अधिकारियों ने कहा कि विभाग को जो कुछ भी चाहिए, उसके लिए एसएयू के साथ संवाद हमेशा आईसीएआर या राज्य सरकार के माध्यम से नहीं होना चाहिए. वर्तमान में, एसएयू द्वारा विकसित बीजों की कई अच्छी किस्में एक छोटे दायरे तक ही सीमित हैं, जहां एक विशेष एसएयू स्थित है, जबकि ऐसी किस्मों के पूरे देश में फैलने की संभावना है. नई पहल से ऐसा संभव हो सकेगा. 

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