किसान कारवां पहुंचा आगराकिसान तक का किसान कारवां आज उत्तर प्रदेश के आगरा पहुंचा. कार्यक्रम में दर्जनों किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम में किसानों को उनकी भूमि, भोजन और मिट्टी में बोए जाने वाले बीज और फिर फसल की तैयारी के लिए पानी की गुणवत्ता के बारे में विस्तृत और तकनीकी जानकारी दी गई. जब किसान कार्यक्रम में पहुंचे तो वे सामान्य महसूस कर रहे थे. लेकिन कार्यक्रम में दी गई जानकारी के बाद किसानों को लगा कि अब खेती के लिए तकनीक पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो गया है. आपको बता दें कि आगरा में कुल 906 गांव हैं.
जिले में 398460 हेक्टेयर कृषि भूमि कृषि योग्य क्षेत्र मानी जाती है. 282816 हेक्टेयर भूमि में बुआई की गई थी लेकिन अब यह रकबा कम हो गया है. लगातार बढ़ते शहरीकरण और विकास की तीव्रता ने 23.5000 हेक्टेयर कृषि भूमि को अपनी चपेट में ले लिया है. आगरा में 235000 63 हेक्टेयर भूमि सिंचित है और इस भूमि की फसल गहनता 139.51 प्रतिशत है. जिले भर में कई प्रकार की मिट्टी हैं जिनमें मुख्य रूप से दोमट, रेतीली घाटी और बंजर भूमि शामिल हैं.
ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचा किसान कारवां, किसानों को मिले जैविक तरीके से फसल बचाने के टिप्स
आंकड़ों पर नजर डालें तो 125000 हेक्टेयर में गेहूं की खेती, 71000 हेक्टेयर में आलू की खेती, 65000 हेक्टेयर में सरसों की खेती, 15000 हेक्टेयर में जौ की खेती, 10000 हेक्टेयर में चने की खेती, 10000 हेक्टेयर में मटर की खेती, 8000 हेक्टेयर में खेती होती है. प्रसिद्ध दाल की खेती. होती है. आगरा में मुख्यतः तीन फसलें उगाई जाती हैं जिनमें 132000 हेक्टेयर में बाजरे की फसल भी उगाई जाती है. किसानों को कृषि भूमि और फसलों के डेटा को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीक का उपयोग करना चाहिए.
धनुका ग्रुप के चेयरमैन रामगोपाल अग्रवाल ने कहा कि पुरानी तकनीक को छोड़कर नई तकनीक का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सस्ते चीजों के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए. उन्होंने किसानों को जानकारी देते हुए एक पुरानी कहावत दोहराई कि महंगा एक बार रोता है और सस्ता बार-बार रोता है. अग्रवाल ने किसानों से कहा कि वे सर्वोत्तम प्रॉडक्ट का उपयोग करें. आरबीएस कॉलेज के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने किसानों को बताया कि पानी काफी गहरा है, जिससे खारापन है और इसका असर फसल पर पड़ता है. फसल को बेहतर बनाने के लिए उन्हें मिट्टी में 5 से 6 बैग जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए. कार्यक्रम में आए किसान बहुत खुश थे, सभी को लगा कि उन्हें कुछ नई जानकारी मिली है जिसका उपयोग भविष्य में खेती में उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. साथ ही खेतों से अधिक फसल पैदा की जा सकती है.
किसान कारवां का आयोजन यूपी सरकार के सहयोग से किया जा रहा है. इस पूरे कारवां में एसोसिएट पार्टनर के तौर पर अनमोल, धानुका और स्वराज जुड़े हुए हैं.(अरविंद शर्मा की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today