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Farmers Protest: किसान संगठनों और सरकार के बीच MSP के मुद्दे पर बात फंसी, इन मांगों पर बनी सहमति

Farmers Protest: किसान संगठनों और सरकार के बीच MSP के मुद्दे पर बात फंसी, इन मांगों पर बनी सहमति

पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने अपनी 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच की तैयारी पूरी कर ली है. हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली और गाड़ियों में सवार होकर दिल्ली जाने के लिए अपने घरों से निकल पड़े हैं. हरियाणा सरकार ने उन्हें पंजाब-हरियाणा सीमा पर रोक दिया है. इस बीच मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच देर रात तक बातचीत जारी है.

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सरकार और किसानों के बीच बातचीत जारी, इन मांगों पर बनी सहमति सरकार और किसानों के बीच बातचीत जारी, इन मांगों पर बनी सहमति

चंडीगढ़ में किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत जारी है. खबर लिखे जाने तक दोनों ओर से वार्ता चल रही है और किसानों के मंगलवार को दिल्ली कूच को रोकने की कोशिश चल रही है. इसी क्रम में सोमवार देर रात चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा के साथ किसान संगठनों के बातचीत चल रही है. इस बीच अच्छी खबर ये है कि किसानों की कुछ मांगों पर सहमति बन गई है. 

पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने अपनी 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच की तैयारी पूरी कर ली है. हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली और गाड़ियों में सवार होकर दिल्ली जाने के लिए अपने घरों से निकल पड़े हैं. हरियाणा सरकार ने उन्हें पंजाब-हरियाणा सीमा पर रोक दिया है. इस बीच मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच देर रात तक बातचीत जारी है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने किसानों की कुछ मांगें मान ली हैं. आइए जानते हैं सरकार किसानों के किन मांगों पर सहमत हुई है.

इन मांगों पर फंसी बात

सूत्रों के मुताबिक, एमएसपी की गारंटी के मुद्दे पर बात फंसी है. केंद्र सरकार ने एमएसपी के मुद्दे पर हाई पावर कमेटी बनाने और उसमें किसान नेताओं को भी शामिल करने का और टाइम बाउंड रखने का भरोसा दिया. किसानों ने केंद्र सरकार की बात मानने से इनकार किया और कहा कि एमएसपी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को तुरंत ही कोई ठोस ऐलान करना होगा.

केंद्र सरकार ने कहा कि दालों की एमएसपी को लेकर गारंटी की बात पर तुरंत विचार हो सकता है लेकिन बाकी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए केंद्र सरकार को संशोधन के लिए कुछ वक्त चाहिए.

इन मांगों पर बनी सहमति

  • बिजेली अधिनियम 2020 रद्द होगा.
  • लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुहावजा मिलेगा.
  • किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मामले वापिस होंगे. हीनियस क्राइम चलते रहेंगे. 
  • एमएसपी गारंटी कानून पर अभी सहमति नही बनी, बातचीत जारी.

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किसानों की इन मांगों पर हो रही है बातचीत

1. सभी फसलों की खरीद पर MSP गारंटी अधिनियम बनाया जाए, डॉ स्वामीनाथन आयोग के निर्देश पर सभी फसलों की कीमतें C2+50% फॉर्मूले के अनुसार तय की जाएं.

1.1 गत्ते का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार दिया जाना चाहिए, जिससे यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बन जाए.

2. किसानों और मजदूरों के लिए पूर्ण ऋण माफी.

3. पिछले दिल्ली आंदोलन की अधूरी मांगें जैसे किः

3.1 लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो, अजय मिश्रा को केबिनेट से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार किया जाए, आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जाए, सभी आरोपियों से उचित तरीके से निपटा जाए.

3.2 हुए समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

3.3 दिल्ली मोर्चा सहित देश भर में सभी आंदोलनों के दौरान सभी प्रकार के मामले/मुकदमें रद्द किए जाएं.

3.4 आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी दी जाए.

3.5 दिल्ली में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए.

3.6 बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो की अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है, इसे निरस्त किया जाना चाहिए.

3.7 कृषि क्षेत्र को वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए.

4. भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना चाहिए, कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए. विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद करें.

5. किसानों और 58 वर्ष से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जानी चाहिए.

6. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना.

7. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए.

8. मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए, मजदूरी बढ़ाकर 700 प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को शामिल किया जाए.

9. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करना और नकती और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर अनुकरणीय दंड और दंड लगाकर लाइसेंस रद्द करना.

10. संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन.