अब जीरा किसानों और व्यापारियों के लिए ‘हीरा’ साबित हो रहा है. इस बार ऑफ सीजन में जीरे के दाम ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, क्योंकि सोमवार को कमोडिटी बाजार में जीरा ने एक नया रिकॉर्ड बनाया और 33 हजार रुपए प्रति क्विंटल कीमत की ऊंचाई हासिल की. जीरा 2 दिसंबर से 25,085 रुपये से 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है. वही उंझा मंडी में, जीरा की कीमतें एक महीने पहले के 24,857 रुपये से 29 फीसदी बढ़कर 32,116 रुपये हो गई हैं, जबकि नागौर कृषि उपज मंडी में जीरा 32,500 तक बिका, तो मेड़ता कृषि उपज मंडी में जीरा 32,000 तक बिका जो आज तक के जीरे के भावों में सबसे तेज भाव है. वहीं व्यापारियों का कहना है कि जीरे के भाव में और तेजी आएगी.
जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी का क्रेडिट गुजरात में खराब बुवाई को दिया जा रहा है. देश में पश्चिमी राज्य, जो 50 प्रतिशत से अधिक बीज मसालों का उत्पादन करते हैं, ने 2.69 लाख हेक्टेयर में जीरा की बुवाई की सूचना दी है. जोकि तीन साल की सामान्य बुवाई 4.21 लाख हेक्टेयर से 35 फीसदी कम है.
वही 26 दिसंबर तक गुजरात के बुवाई के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में जीरा का रकबा साल दर साल लगभग 6 फीसदी कम है. हालांकि, राजस्थान में जीरे की खेती में बढ़ोतरी हुई है और 30 दिसंबर तक 5.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होने का अनुमान है, जैसा कि सरकारी आंकड़ों से पता चलता है.
अनुमान लगाया गया है कि 2022-23 के लिए भारत में जीरे का उत्पादन लगभग 33 प्रतिशत घटकर 2.7 से 3 लाख टन हो जाएगा. विश्लेषक फर्म (analyst firm) ने कहा, "अप्रैल-अक्टूबर 2022 की अवधि के दौरान जीरा का निर्यात 18.92 प्रतिशत घटकर 1,22,015.13 टन रह गया, जबकि 2021 में इसी अवधि के दौरान 1,50,479.11 टन था. अक्टूबर 2022 का निर्यात 31.27 प्रतिशत घटकर लगभग 12,427.86 टन रह गया, जबकि सितंबर में 18,081.78 टन का निर्यात हुआ था."
आपके जानकारी के लिए बता दें कि जीरे की अधिकांश बुवाई पूरी हो चुकी है और नई फसल फरवरी में आनी शुरू हो जाएगी, लेकिन फसल कैसी होगी यह मौसम पर निर्भर करेगा.
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