मार्च 2024 तक चीनी का निर्यात खुलने की संभावना नहीं है. यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है. सरकार ने शुक्रवार को कहा कि चीनी के अगले सीजन में चीनी का उत्पादन पहले की तरह अच्छा बने रहने की उम्मीद है. यह सीजन एक अक्टूबर से शुरू हो रहा है. बीते साल की तरह नए सीजन में भी चीनी का उत्पादन बेहतर बने रहने संभावना जताई जा रही है. इसके आधार पर कहा जा रहा है कि बाजार में चीनी की सप्लाई अच्छी बनी रहेगी. बेहतर सप्लाई के पीछे एक वजह ये भी है कि सरकार ने चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है जिसे आगे भी लागू रखा जाएगा. त्योहारी सीजन में चीनी के दाम न बढ़ें, इसे देखते हुए सरकार ने निर्यात पर रोक बरकरार रखने का निर्णय लिया है.
अगले साल गन्ने की पैदावार बड़े पैमाने पर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. इससे इथेनॉल बनाने में मदद मिलेगी. गन्ने के बाइप्रोडक्ट से अधिक से अधिक इथेनॉल बनाया जा सकेगा. इसे देखते हुए गन्ने के अगले सीजन में मंत्री समूह इथेनॉल के दाम में बदलाव की सिफारिश कर सकता है. सरकार का ध्यान अधिक से अधिक इथेनॉल बनाने पर है क्योंकि पेट्रोल में इसकी मिलालट को 20 परसेंट तक ले जाना है. चावल की महंगाई को देखते हुए उससे इथेनॉल का निर्माण कम हुआ है. चीनी से इथेनॉल बनाने पर जोर है. यही वजह है कि चीनी मिलों ने इथेनलॉल का दाम बढ़ाने की मांग की है.
खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि 31 मार्च 2024 तक चीनी का निर्यात शुरू होने की संभावना नहीं है. उत्पादन बंपर होने के बावजूद सरकार निर्यात को मंजूरी नहीं देगी क्योंकि त्योहारी सीजन को ध्यान में रखा जा रहा है. इसके अलावा इथेनॉल बनाने में भी अधिक से अधिक चीनी का उपयोग होगा. मौजूदा सीजन में इथेनॉल बनाने के लिए 40 लाख टन चीनी का कोटा रखा गया है जिसे अगले सीजन में पचास से 55 लाख टन किया जा सकता है.
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यहां ध्यान रखना होगा कि चीनी से इथेनॉल नहीं बनता बल्कि उसके खांड़, सीरप या चीनी के जूस से बनाया जाता है. लेकिन इसकी गणना चीनी के रूप में ही की जाती है क्योंकि अनुमान लगाया जाता है कि जितने गन्ने से खांड़, सीरप या चीनी जूस बनता है उतने से कितनी चीनी तैयार होगी.
चीनी के दाम को लेकर मीडिया से बात करते हुए खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा, ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि चीनी की किल्लत है. हालांकि अक्टूबर में शुरू होने वाले सीजन से पहले किल्लत के बारे में बात करना गलत है. चोपड़ा ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष गन्ने की बुआई अधिक हुई है. पिछले साल 53 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था जबकि इस साल यह आंकड़ा 56 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
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खाद्य सचिव ने कहा कि आने वाले त्योहारी सीजन में चीनी और अन्य खाने-पीने के सामान सस्ते रहेंगे. खाद्य तेल और गेहूं के भाव बाजारों में स्थिर रहेंगे. खाद्य सचिव के मुताबिक अभी देश में 108 लाख टन चीनी उपलब्ध है जबकि अगस्त और सितंबर में 46-48 लाख टन चीनी की जरूरत होगी. इसके बाद अक्टूबर में चीनी की नई पेराई शुरू हो जाएगी जिससे सप्लाई सुचारू हो जाएगी. भारत की सालाना चीनी खपत 275 लाख टन है.
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