9 दिसंबर 2021 को आंदोलन स्थगित करते समय केंद्र सरकार ने किसानों से वायदा किया था कि किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे, लेकिन 4 साल बीत जाने के बावजूद किसान नेताओं को पुराने मुकदमों के नोटिस भेजे जा रहे हैं. किसानों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने वादाखिलाफ को लेकर साझा बयान जारी किया है.
18 सितम्बर 2020 को जब 3 कृषि कानून संसद में पेश हुए थे तो किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, अभिमन्यु कोहाड़, हरपाल चौधरी, संतवीर सिंह, इंदरजीत पन्नीवाला, शिव कुमार शर्मा समेत सैंकड़ों किसानों ने जंतर-मंतर पर काली पट्टी बांध कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था, उस समय प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लेकर उन पर मुकदमा दर्ज किया गया था.
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने केस वापस लेने का अपना वायदा पूरा नहीं किया और कुछ दिन पहले आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ वारंट जारी किए गए है. आज किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, अभिमन्यु कोहाड़, हरपाल चौधरी, संतवीर सिंह, इंदरजीत पन्नीवाला आदि कोर्ट में पेश हुए. वरिष्ठ वकील अमरवीर सिंह भुल्लर, अमृत सिंह एवम हितैषी की टीम ने किसानों का पक्ष रखा.
किसान नेताओं ने बताया कि हम माननीय न्यायालय का पूरा सम्मान करते हैं. इसलिए आज कोर्ट में पेश हुए हैं. किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जब मुकदमे वापस लेने के छोटे से वायदे को भी पूरा नहीं कर पाई तो MSP गारंटी कानून बनाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार के वादों पर कैसे विश्वास किया जा सकता है?
उन्होंने कहा कि यह सरकार विश्वास करने लायक नहीं है और इसलिए MSP गारंटी कानून बनवाने के लिए किसान पिछले 228 दिनों से सड़कों पर बैठे हैं. किसान नेताओं ने कहा कि यदि सरकार को लगता है कि ऐसे मुकदमों के माध्यम से वो किसानों को दबा देंगे तो ये सरकार की गलतफहमी है. किसान ऐसे मुकदमों से दबने वाले नहीं हैं.
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