पंजाब के कई 19 किसान संगठनों ने गुरुवार से राज्य में तीन दिवसीय रेल नाकाबंदी शुरू कर दी है. किसानों ने हाल ही में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए वित्तीय पैकेज, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और कर्ज माफी जैसी कई अहम मांगों पर अपना रुख जाहिर किया है. आंदोलन में भाग लेने वाले ज्यादातर किसान संगठन पंजाब से हैं, लेकिन आंदोलन को भारत के कई राज्यों के किसान संगठनों का समर्थन मिला है. 19 संगठनों ने मोगा रेलवे स्टेशन, मोगा जिले के अजीतवाल और डगरू, होशियारपुर के होशियारपुर, गुरदासपुर के गुरदासपुर और जालंधर के डेरा बाबा नानक, जालंधर के जालंधर कैंट, तरनतारन संगरूर के सुनाम, पटियाला के नाभा, फिरोजपुर के बस्ती टंकावाली और मल्लांवाला, बठिंडा के रामपुरा फूल, अमृतसर के देवीदासपुरा और मजीठा, फाजिल्का के फाजिल्का रेलवे स्टेशन, मलेरकोटला के अहमदगढ़ में तीन दिनों के लिए 17 जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया.
इस संबंध में जानकारी देते हुए तालमेल कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लगातार अनदेखी के कारण बाढ़ से जूझ रहे उत्तर भारत के राज्यों को केंद्र की ओर से पर्याप्त मदद नहीं मिलने के कारण स्थिति चिंताजनक है.
उत्तर भारत के बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज, दिल्ली मोर्चे के दौरान एमएसपी गारंटी कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के दाम तय करने की अधूरी मांग को पूरा करना, किसानों और मजदूरों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति, मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार, पंजाब समेत उत्तर भारत में स्मैक हेरोइन जैसे घातक नशे पर नियंत्रण, दिल्ली आंदोलन के दौरान किए गए मुकदमे रद्द करना और लखीमपुर नरसंहार के दोषियों पर कार्रवाई, भारत माला परियोजना के तहत अधिग्रहण की जा रही जमीन की दरों में 6 गुना बढ़ोतरी, आबादकार किसानों और मजदूरों को उनकी जमीन का स्थाई मालिकाना हक देने की मांग को लेकर भारत रेल रोको मोर्चा पंजाब से शुरू किया गया है.
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उन्होंने कहा कि यहां के लोग भारत मोदी सरकार की कॉरपोरेट समर्थक और भाईचारा तोड़ने वाली नीतियों को समझ चुके हैं. उन्होंने कहा कि रेल जाम करना संगठनों की नाक का सवाल नहीं है, बल्कि मांगों पर सुनवाई नहीं होने के कारण यह मजबूरी है. जब तक केंद्र सरकार इन मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती तब तक भारतीय स्तर पर संघर्ष जारी रहेगा. इस मौके पर सुरजीत सिंह फूल, जसविंदर सिंह लोंगोवाल, जंग सिंह भटेड़ी , हरपाल सिंह संघा, चमकौर सिंह ब्रह्मके, मलकीत सिंह निजामीवाला, बलबीर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह साबरा, सुरेश कोथ (हरियाणा) और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी अलग-अलग स्थानों पर मौजूद रहे.
पंजाब, भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी, भारतीय किसान यूनियन एकता आज़ाद, आज़ाद किसान कमेटी दोआबा, भारतीय किसान यूनियन बहरामके, भारतीय किसान यूनियन शहीद भगत सिंह, भारतीय किसान यूनियन छोटू राम, भारतीय किसान मजदूर यूनियन, किसान महा पंचायत हरियाणा, पगड़ी संभाल जट्टा हरियाणा, प्रोग्रेसिव फार्मर्ज फ्रंट यूपी, थारई किसान मंच यू. पी., भूमि बचाओ मुहिम उत्तराखंड, जीकेएस राजस्थान, आजाद किसान यूनियन हरियाणा, राष्ट्रीय किसान संगठन हिमाचल प्रदेश, किसान मजदूर मोर्चा पंजाब, बी. के. यू भटेड़ी और संघर्ष को पंजाब किसान मजदूर यूनियन का समर्थन प्राप्त है.
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