
दिल्ली के जंतर मंतर पर देश के नामी पहलवान एक बार फिर कुश्ती फेडरेशन के प्रमुख ब्रजभूषण शरण पर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए हैं. इन पहलवानों का कहना है कि जब तक ब्रजभूषण शरण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक वे अपना धरना समाप्त नहीं करेंगे. धरना दे रहे पहलवानों ने राजनीतिक और गैर-राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा है. इसके बाद हरियाणा में खाप पंचायतें और किसान यूनियन के लोग उनका समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं. सोनीपत से किसान यूनियन का एक जत्था पहलवानों के समर्थन में मंगलवार को रवाना हो गया. किसानों का समूह दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचेगा और पहलवानों का अपना समर्थन देगा.
इससे पहले कुछ तस्वीरें सोनीपत से आईं जिसमें किसानों को धरनारत पहलवानों का समर्थन करते देखा गया. सोनीपत से आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कैसे किसान यूनियन के नेता और किसान दिल्ली के जंतर मंतर पर बैठे नामी पहलवानों के समर्थन में जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. किसानों ने गोंडा से सांसद और कुश्ती फेडरेशन के प्रमुख ब्रजभूषण शरण पर गंभीर आरोप लगाया और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
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इसके बाद पहलवानों के बुलावे पर किसानों का एक जत्था सोनीपत के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस से मंगलवार को दिल्ली के जंतर मंतर के लिए रवाना हो गया. किसानों का स्पष्ट कहना है कि हमने अपनी फसलों को बचाने के लिए शहादत दी है और अब तो बात हमारी नस्लों पर है, उसके लिए हम अपना खून भी बहा देंगे. दरअसल, हरियाणा के पहलवान भी किसानों के बेटे हैं या किसान परिवार से हैं. यही वजह है कि किसान इन पहलवानों के समर्थन में खुलकर उतर गए हैं. पहलवानों का धरना प्रदर्शन दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रहा है.
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इस मसले पर किसान नेता वीरेंद्र पहल और राकेश दहिया ने कहा कि हमारे बेटे और बेटियों ने आपने पसीने और मेहनत के बल पर विदेशी धरती पर देश का नाम रोशन किया है. आज उनकी इज्जत और आबरू पर आंच आई है. आज वे अपने मान और सम्मान की लड़ाई के लिए देश की राजधानी में लड़ाई लड़ रहे हैं. किसान नेताओं ने कहा, हम अपने बच्चों को उन लोगों के बीच में कैसे छोड़ सकते हैं. किसान और मजदूर वर्ग अपनी बेटियों की इज्जत के लिए अपनी जान दांव पर लगा देगा. लेकिन अपनी बेटियों को कुछ नहीं होने देंगे.
किसान नेता वीरेंद्र पहल और राकेश दहिया ने कहा, हमारी सात बेटियों ने ब्रजभूषण शरण के खिलाफ शिकायत दी है. लेकिन उनकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज नहीं हो रहा है. हम दिल्ली में डेरा डालने के लिए जा रहे हैं. जब तक हमारे बेटियों और बेटों को इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक हम वापस नहीं आने वाले. किसान नेताओं ने कहा, अगर आवश्यकता पड़ी तो हम पूरी दिल्ली पर कब्जा कर लेंगे, लेकिन अपनी बेटियों की इज्जत सरेआम नीलाम नहीं होने देंगे. हम अपने पहलवानों के लिए शीश देने के लिए भी तैयार हैं और शीश लेने के लिए भी तैयार हैं. हमने दिल्ली की सीमाओं पर पहले तो अपनी फसलों की लड़ाई लड़ी और उसमें शहादत दी. अब तो बात हमारी नस्लों पर है, उसके लिए हम कुछ भी कर गुजर जाएंगे.
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