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Dung Price: चारे से ज्यादा महंगा हुआ गोबर, सामने आई हैरान करने वाली रिपोर्ट

Dung Price: चारे से ज्यादा महंगा हुआ गोबर, सामने आई हैरान करने वाली रिपोर्ट

साल 2017 और 2018 में गोबर की मांग में मामूली गिरावट देखी गई थी, लेकिन बीते 10 सालों के आंकड़े बताते हैं कि गोबर का मूल्य 10 सालों से लगातार बढ़ रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि गोबर का मूल्य आगे भी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि केंद्र व राज्य सरकारें गोबर खरीदने की कई योजनाएं चला रही हैं.

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पशुओं के गोबर मूल्य में लगातार हुई वृद्धि, सांकेतिक तस्वीर पशुओं के गोबर मूल्य में लगातार हुई वृद्धि, सांकेतिक तस्वीर

देश में कृषि के बाद किसानों के द्वारा पशुपालन को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर किसान छोटे या बड़े स्तर पर पशुपालन करते ही हैं. वहीं पशुपालन के कई सारे फायदे होते हैं. पशुपालकों को पशुओं से दूध मिलने के अलावा गोबर भी मिल जाता है जोकि उन्नत खेती में बहुत कारगर होता है. जिन खेतों में गोबर खाद इस्तेमाल होती है आमतौर पर उन खेतों की मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ जाती है. यही वजह है कि किसानों के बीच गोबर खाद की मांग हमेशा बनी रहती है.  

वहीं भारत में इन दिनों गोबर की डिमांड बढ़ती हुई नजर आ रही है. आलम यह है कि पशुओं का गोबर उनके चारे से ज्यादा महंगा हो गया है.  दरअसल, 2020-21 (वित्त वर्ष 21) के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि पशुओं के गोबर का रियल ग्रॉस वैल्यू आउटपुट (GVO) पशुओं द्वारा खाए जा रहे चारे की कुल कीमत से ज्यादा है.

पशुओं के चारे से ज्यादा महंगा है गोबर

‘कृषि, वानिकी और मत्स्य उत्पादों के मूल्य’ नाम से आई रिपोर्ट के अनुसार, गोबर का रियल GVO 7.95 प्रतिशत सकल सालाना बढ़ोतरी दर (CAGR) से बढ़ा है. यह वित्त वर्ष 2011-12 (वित्त वर्ष 12)  में 32,598.91 करोड़ रुपये था जो अब वित्त वर्ष 21 में बढ़कर 35,190.8 करोड़ रुपये हो गया है. वहीं चारे का रियल GVO इस 10 साल के बीच 1.5 प्रतिशत (CAGR) घटकर वित्त वर्ष 21 में 31,980.65 करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 12 में 32,494.46 करोड़ रुपये था.

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अगर वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 18 में हुई मामूली गिरावट को छोड़ दें तो पशुओं के गोबर मूल्य में 10 वर्षों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि गोबर का मूल्य और भी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि केंद्र व राज्य सरकारें गोबर खरीदने के लिए कई सरकारी योजनाएं चला रही हैं. साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा गोबर को ऊर्जा के स्रोत के रूप में भी बढ़ावा दिया जा रहा है और इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

देश में गोबर की बढ़ी मांग 

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च के डायरेक्टर महेंद्र देव ने कहा कि गोबर की मांग बढ़ी है, क्योंकि इसका इस्तेमाल हाल के सालों में बायोगैस और बायो फर्टिलाइजर में बढ़ा है. उन्होंने कहा, "इसके पहले खादी व ग्रामीण उद्योग आयोग ने खादी प्राकृतिक पेंट नाम से एक पहल की थी, जिसमें गोबर मुख्य सामग्री थी. इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना शुरू की है."