शस्य वैज्ञानिक डॉ.ए.के. सिंह वर्षा आधारित और सिंचित स्थितियों के लिए स्वर्ण सुरक्षा और स्वर्ण गौरव नामक फाबा बीन की दो किस्में विकसित कर चुके हैं. वहीं अब उन्हें कृषि विश्वविद्यालय सबौर, बिहार में निदेशक अनुसंधान के पद पर नियुक्त किया गया है. कृषि विशेषज्ञ के रूप में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले डॉ सिंह ने कहा कि राज्य कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर अनुसंधान को एक नई दिशा देने की ज़रूरत है. जिससे की किसानों का कल्याण हो सके. इसके साथ सूबे के किसान खेती के दम पर अपनी आय को बढ़ा सकें.
मालूम हो कि पटना के जाने-माने शस्य वैज्ञानिक डॉ.ए.के. सिंह पूर्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना एनबीपीजीआर, क्षेत्रीय केन्द्र, श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) में फसल अनुसंधान कार्यक्रम, पूसा बिहार में भी शस्य वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विभिन्न शोध पत्रिकाओं में इनका काफ़ी योगदान है. जिनमें अभी तक 150 शोध पत्र, 09 पुस्तकें और 200 अन्य प्रकाशन (61 पुस्तक अध्याय, 78 लोकप्रिय लेख, 59 सम्मेलन सार) आदि है
डॉ. ए. के. सिंह ने निदेशालय के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों से बातचीत के क्रम में कहा कि हम सभी को कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने की जरूरत है. वहीं अनुसंधान से संबंधित आ रही चुनौतियों को लेकर उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और इसके अधीनस्थ महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों में कृषि अनुसंधान से संबंधित आ रही चुनौतियों पर युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत है. साथ ही कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर अनुसंधान को एक नई दिशा देना है. ताकि सूबे के किसानों का हित हो सके. इसके साथ ही उनकी आय में इजाफा होने के साथ वे समृद्ध हो सके.
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डॉ. सिंह ने अपने अथक प्रयास से वर्षा आधारित और सिंचित स्थितियों के लिए स्वर्ण सुरक्षा और स्वर्ण गौरव नामक फाबा बीन की दो किस्में विकसित कर चुके हैं, जिससे पूर्वी भारत के बहुत से किसान लाभान्वित हो रहे हैं. वहीं उन्हें हिंदी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकी पुस्तक के लिए राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजभाषा गौरव पुरस्कार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी हिंदी पत्रिका पुरस्कार (मुख्य संपादक) जैसे कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है. वे कई अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय सम्मेलन एवं वेबिनार के आयोजन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. वहीं कई संस्थान, बाह्य एवं अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में भी कार्य कर चुके हैं.
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