भारत का सिलकॉन वैली यानी बेंगलुरु इस समय पानी की किल्लत से जूझ रहा है. यहां गर्मी आने से पहले ही पानी की भयानक कमी है. जबकि गर्मी आने में अभी एक महीना बाकी है. वहीं इसका कारण पिछले साल पूरे कर्नाटक में साउथ वेस्ट मॉनसून कमजोर रहना है. इसकी वजह से कावेरी नदी का जलस्तर कम हो गया है. इस नदी से जिन जलस्रोतों में पानी भरता था, वो भी लगभग खाली हैं. बेंगलुरू के कुछ जलाशय तो सूख गए हैं. हजारों आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स वाले इस शहर में करीब 1.40 करोड़ लोग रहते हैं. गर्मियों के आने से पहले ही यहां के लोग पानी को दोगुनी कीमत पर खरीदने को मजबूर हैं. साथ ही देश की राजधानी दिल्ली में भी गर्मी आते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. ऐसे में लोगों को पीने के पानी के लिए दोगुना दाम देना पड़ता है.
बेंगलुरू के कुछ इलाकों में पानी टैंकर डीलर हर महीने का 2000 रुपये ले रहे हैं. जबकि एक महीने पहले यह कीमत 1200 रुपये था. इतने रुपयों में 12 हजार लीटर वाला पानी का टैंकर आता था. कई इलाकों के लोगों ने बताया कि उन्होंने दो दिन पहले पानी के टैंकर की बुकिंग करनी पड़ रही है तब पानी मिल रहा है. साथ ही अब पेड़-पौधे भी सूख रहे हैं.
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लोगों को इस बात की चिंता है कि पैसे देने के बाद भी टैंकर लाने वाले आते नहीं हैं. कहते हैं कि भूजल में कमी है. पानी कहां से लेकर आएं. कई बार पानी जिस दिन चाहिए उस दिन नहीं मिलता है. उसके एक-दो दिन बाद मिलता है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेस (IISc) की स्टडी के मुताबिक एक समय था जब बेंगलुरु को बगीचों का शहर और पेंशन वालों का स्वर्ग कहते थे. वजह थी इसका मॉडरेट जलवायु. लेकिन अब पर्यावरण वैसा नहीं है. पिछले चार दशक यानी 40 सालों से बेंगलुरु ने अपना 79 फीसदी जलाशय और 88 फीसदी ग्रीन कवर को खो दिया है.
पिछले साल देश के कई राज्यों में जल संकट देखा गया. कई राज्यों में सूखे जैसी स्थिति रही. इसमें हरियाणा-पंजाब, बिहार, यूपी और कर्नाटक सहित कई अन्य राज्यों में सूखे जैसे हालात रहे. इसका असर फसलों के उपज पर पड़ा. खरीफ की मुख्य फसल धान की खेती में किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा. वहीं बात करें राजधानी की तो यहां भी गर्मी आते ही पानी की किल्लत देखने को मिलने लगती है. इसके अलावा देश के कई राज्यों में साल दर साद जल संकट गहराता जा रहा है. जिससे किसानों को खेती करने में परेशानी हो रही है. साथ ही कई राज्यों में पीने के पानी में भी किल्लत आ रही है.
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