मछली पालन का एक ऐसा बिजनेस है, जिसमें कम लागत में किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. कम से कम जगह में कई प्रकार की मछलियां पाली जा सकती हैं और उन्हें मछली मंडियों में बेचकर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है. वहीं, एक बार मछली पालन बिजनेस शुरू करने के बाद से हमेशा आमदनी होती रहती है. यही वजह है कि केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारें भी मछली पालन को बढ़ावा दे रही हैं. इसी क्रम में यूपी सरकार मछली पालन बिजनेस के क्षेत्र में बड़ा काम करने जा रही है. दरअसल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में जल्द ही एशिया का सबसे बड़ा मछली बाजार खुलेगा. वहीं इस फिश मार्केट का निर्माण जुलाई, 2024 तक कंप्लीट हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री संजय कुमार निषाद ने कहा कि एशिया की सबसे बड़ी मछली मंडी चंदौली में बन रही है. चंदौली में अत्याधुनिक थोक मछली बाजार के निर्माण से लगभग डेढ़ हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.
उत्तर प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने शनिवार को बताया कि एशिया की सबसे बड़ी मछली मंडी चंदौली में बन रही है. उन्होंने कहा कि चंदौली में बन रही एशिया की सबसे बड़ी मछली मंडी का कार्य अब तेजी से चल रहा है. यह अगले वर्ष जुलाई तक तैयार हो जाएगी.
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पत्रकारों से बात करते हुए संजय निषाद ने बताया कि मछली बाजार जब पूरी क्षमता से शुरू हो जाएगा तो सालाना लगभग 75 हजार मी0 टन मछलियों का व्यापार होगा. इस मंडी से लगभग 1500 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.
डा. संजय ने बताया कि हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक देश बन गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं के माध्यम से मछली पालन के क्षेत्र में लोगों को रोजगार देने के साथ ही राजस्व में भी वृद्धि हो रहा है.
इस दौरान संजय निषाद ने ऐलान किया कि यूपी में कई जगहों पर सौ-सौ एकड़ में फिश पार्क बनाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि मछली उत्पादन की वृद्धि दर रिकॉर्ड 22 प्रतिशत की है. इसी के मद्देनजर प्रदेश में कई जगहों पर सौ-सौ एकड़ में फिश पार्क बनाने की योजना है. उन्होंने बताया कि हम थाई मांगुर पर रोक के लिए कानून बना रहे हैं. वहीं, तेलियानाला घाट पर निषाद राज की प्रतिमा जल्द ही लगाई जाएगी.
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सूबे के मछुआरा समाज के लोगों द्वारा गंगा में नाव चलाने को लेकर होने वाले विरोध पर उन्होंने कहा कि हमने योजना, धन की व्यवस्था, नेटवर्क आदि बना लिया है. इसी का नतीजा है कि पिछले साल विभाग की 30 योजनाओं के लिए 85000 लोगों ने आवेदन किया. उन्होंने बताया कि ‘निषाद राज बोट योजना’ के लिए पांच करोड़ की व्यवस्था की गई है. वहीं इस योजना के तहत मछुआरा समाज को इस पर 40 प्रतिशत छूट दी जा रही है.
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