दूध की को-ऑपरेटिव कंपनी अमूल अब एक नए विवाद में फंस गई है. यह नया विवाद आंध्र प्रदेश में हुआ है. इससे पहले कर्नाटक में इस बात को लेकर बवाल हुआ था कि गुजरात की डेयरी कंपनी आखिर दूसरे राज्य में अपना स्टोर कैसे खोल सकती है. यही बात आंध्र प्रदेश में भी सामने आई है. अमूल डेयरी चित्तूर को-ऑपरेटिव डेयरी में 385 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. इसी बात को लेकर आंध्र प्रदेश में अमूल का विरोध हो रहा है क्योंकि इससे आंध्र प्रदेश में उसकी मौजूदगी बढ़ेगी. डेयरी कंपनी अमूल का मालिकाना हक गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के पास है. इस कंपनी का प्रमुख काम गुजरात में है, लेकिन इसका बिजनेस देश के कई राज्यों में फैला हुआ है.
कहा जा रहा है कि अमूल आंध्र प्रदेश की चित्तूर को-ऑपरेटिव डेयरी में निवेश कर अपना काम बढ़ाएगा और तमिलनाडु व बेंगलुरु मार्केट पर फोकस करेगा. लेकिन जानकार इस कदम को मौजूदा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की राजनीति से जोड़ कर देख रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि जगन रेड्डी चित्तूर डेयरी में अमूल का निवेश बढ़ाकर आंध्र की डेयरी कंपनी हेरिटेज को पीछे धकेलना चाहते हैं. हेरिटेज को तेलुगु देशम पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू का परिवार प्रमोट करता रहा है, इसलिए उसकी जगह लेने के लिए अमूल को आगे बढ़ाया जा रहा है. ऐसा तर्क विपक्ष दे रहा है.
हेरिटेज डेयरी कंपनी ने 1969 में प्रदेश का पहला मिल्क चिलिंग यूनिट शुरू किया था. उस वक्त हर दिन मात्र 6,000 लीटर दूध की प्रोसेसिंग होती थी. बाद में इस डेयरी कंपनी ने कई उतार-चढ़ाव देखे और 2002 में बंद होने के समय इसका उत्पादन प्रति दिन दो लाख लीटर हुआ करता था. 2003 में इस कंपनी के लिक्विडेशन की अर्जी दी गई, लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.
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दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश सरकार चित्तूर को-ऑपरेटिव डेयरी को फिर से शुरू करना चाहती है जिसके लिए 180 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने पर सहमति बनी है. इस कंपनी को दोबारा शुरू करने के लिए अमूल आगे आया है जो इसमें 385 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. अमूल पहले चरण में 150 करोड़ रुपये लगाएगा और हर दिन एक लाख लीटर दूध प्रोसेस करेगा. यह क्रम अगले कुछ महीनों तक चलेगा. राजनीति के लिहाज से, जगन रेड्डी चित्तूर डेयरी को आगे बढ़ाकर हेरिटेज डेयरी को पीछे छोड़ना चाहते हैं क्योंकि उसे चंद्रबाबू नायडू का परिवार प्रमोट करता है.
अभी हाल में एक बयान में जगन रेड्डी ने कहा था कि तब की तेलुगु देशम पार्टी सरकार ने चित्तूर डेयरी के खिलाफ साजिश रची क्योंकि यह कंपनी 'हेरिटेज फूड्स' के रास्ते में आ रही थी. अंग्रेजी अखबार 'बिजनेसलाइन' ने रेड्डी के हवाले से लिखा है, चित्तूर डेयरी को घाटे में डालने के पीछे नायडू का हाथ है. यह समझना आसान है कि एक ही समय में हेरिटेज ग्रुप फायदे में चलता गया और चित्तूर डेयरी घाटे में समा गई. ऐसा क्यों हुआ, इसे समझना आसान है.
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इन सभी राजनीति के बीच साल 2020 में जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने अमूल के साथ एक करार किया जिसमें चित्तूर डेयरी को फिर से शुरू करने की सहमति बनी. इसी बात को लेकर आंध्र प्रदेश में विपक्ष विरोध कर रहा है क्योंकि इसे राजनीति के लिहाज से देखा जा रहा है.
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