सरसों का मंडी भाव (सांकेतिक तस्वीर)देश की प्रमुख मंडियों में इस समय सरसों के भाव पूरी तरह पॉजिटिव ट्रेंड में बने हुए हैं. राजस्थान और हरियाणा की अलग-अलग APMC मंडियों में सरसों 6,200 रुपये से लेकर 7,100 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रही है. यह भाव न सिर्फ पिछले साल के MSP से काफी ऊपर है, बल्कि अब नए रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) 2026–27 के MSP स्तर से भी बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है. जानिए राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में सरसों के ताजा भाव...
ई-नाम पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2 से 4 दिसंबर 2025 के बीच राजस्थान की बारां, मलपुरा, नदबई, नीवाई, खानपुर और हिण्डौन मंडियों में सरसों का मॉडल भाव 6,400 से 7,070 रुपये प्रति क्विंटल के बीच दर्ज किया गया है. वहीं हरियाणा की रेवाड़ी मंडी में सरसों का अधिकतम भाव 9,578 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा, जो भाव में काफी मजबूती दिखा रहा है. मंडियों में आवक ठीक बनी हुई है और खरीद मजबूत बनी हुई है. किसानों को MSP और उत्पादन लागत के मुकाबले शानदार मुनाफा हो रहा है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने सरसों पर MSP में लगातार बढ़ोतरी की है. अब नए RMS- 2026-27 के लिए पिछले साल के मुकाबले किसानों को 250 रुपये ज्यादा मिलेंगे. नया एमएसपी 5950 से बढ़ाकर 6200 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है, जबकि किसानों की उत्पादन लागत 3210 रुपये प्रति क्विंटल आएगी. इस तरह किसानों को एमएसपी मिलने पर 93 प्रतिशत रिटर्न मिलेगा और कीमतें एमएसपी के पार होने पर ये रिटर्न प्रतिशत और बढ़ जाएगा.
ऐसे में अभी मंडियों में पिछले साल की सरसों बिक रही है, यानी उस समय MSP 5,950 रुपये था. जबकि वर्तमान मंडी भाव 6,500 से 7,000 रुपये के आसपास चल रहा हैं. यानी MSP से 600 से 1,100 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा वहीं पिछले साल की लागत (3011 रुपये) के मुकाबले दोगुने से ज्यादा का रिटर्न.
बता दें कि चल रहे रबी सीजन में बुवाई पिछले साल के मुकाबले काफी तेज है. इसमें तिलहन की बुवाई ने भी जोर पकड़ रखा है और इस श्रेणी में सबसे आगे सरसों और रेपसीड है. हालांकि मूंगफली की बुवाई में हल्की गिरावट देखने को मिली है तो वहीं, कुसुम और तिल की बुवाई में बढ़ाेतरी हुई है.
इस समय सरसों किसानों के लिए सबसे ज्यादा मुनाफे वाली तिलहन फसलों में शामिल है. हालांकि, वर्तमान में कहीं सरसों की बुवाई चल रही है तो कहीं अब पहली सिंचाई और खाद-पानी देने की अवस्था में फसल खेतों में है और फसल कटने के बाद भाव की क्या स्थिति होगी, यह तो बाद में ही पता चलेगा.
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