केंद्र सरकार के पास चावल का स्टॉक रिकॉर्ड हाई स्तर पर पहुंच गया है. इसके नतीजे में चावल के दाम में 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट दर्ज की गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी की शुरुआत में भारत का चावल भंडार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो सरकार के स्टॉक टारगेट से आठ गुना अधिक है. हालांकि, गेहूं के भंडार में गिरावट दर्ज की गई है.
खरीफ सीजन में धान की बंपर पैदावार से चावल का स्टॉक बढ़ा रहा है. जनवरी 2025 की शुरुआत में चावल का भंडार रिकॉर्ड पार करते हुए सरकार के टारगेट से 8 गुना अधिक हो गया है. बंपर स्टॉक की वजह से बाजार में चावल की आपूर्ति भी बढ़ी है और इसके नतीजे में चावल के दाम में तेज गिरावट देखी जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई में सोना मसूरी चावल का भाव 20 रुपये प्रति किलो घट गया है. क्योंकि, दिसंबर में यह 62 रुपये किलो था और अब घटकर 42 रुपये पर आ गया है. सोना मसूरी की अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी वाला चावल अभी 52 से 54 रुपये किलो के रेट पर चल रहा है. वहीं, वैश्विक बाजार में चावल का दाम 5 फीसदी तक गिर गया है.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के आंकड़ों के अनुसार राज्य के अन्न भंडारों में चावल का भंडार 1 जनवरी को 60.9 मिलियन मीट्रिक टन (एमटी) है. जबकि, सरकार ने 7.6 मिलियन टन का लक्ष्य रखा था. इस बीच 1 जनवरी को गेहूं का भंडार 13.8 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 18.4 मिलियन टन था, लेकिन यह पांच साल के औसत 26.7 मिलियन टन से काफी कम था.
रिपोर्ट के अनुसार कुछ राज्यों में धान की खरीद अभी भी जारी है, जिससे भंडारण के लिए जगह बनाने और कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से उनका निपटान करने का सरकार का काम और जटिल हो जाएगा. वहीं, सरकार पिछले साल की तुलना में खुले बाजार में बहुत कम गेहूं बेच रही है. सरकार मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य के भंडार से थोक उपभोक्ताओं को 2.5 मिलियन टन गेहूं बेचने की योजना पर काम रही है, जबकि पिछले सीजन में यह 10 मिलियन टन था.
व्यापारियों ने बाजार में कमी के बीच सरकार से गेहूं की बिक्री बढ़ाने का आग्रह किया है. आटा मिलें अब अपना परिचालन जारी रखने के लिए सरकारी आपूर्ति की मांग कर रही हैं. कहा गया कि खुले बाजार में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं है. कहा गया कि गेहूं की कटाई में अभी काफी वक्त है, ऐसे में नई आवक के लिए इंतजार करना होगा. गेहूं के घटते भंडार के चलते सरकार थोक उपभोक्ताओं को अधिक स्टॉक जारी करने से बचेगी, जो गेहूं की कीमतों को ऊपर ले जा सकती है.
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