पंजाब की मंडियों में किसान कपास की नई फसल लेकर पहुंच रहे हैं. लेकिन सही दाम न मिलने से परेशान हैं. अबोहर के धरमपुरा गांव के छोटे किसान खेताराम बेहद परेशान हैं. उन्होंने मंडियों में भीड़ बढ़ने से पहले ही अपनी कपास तोड़कर बेच दी. लेकिन 7,710 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की जगह उन्हें सिर्फ 5,151 रुपये प्रति क्विंटल का भाव ही मिला. उन्होंने चार एकड़ जमीन ठेके पर लेकर कपास बोई थी. अब भारी नुकसान झेलने के बाद वे अगली बार एमएसपी की गारंटी वाली गेहूं और धान फसल बोने की सोच रहे हैं. खेताराम अकेले नहीं हैं. पंजाब के ज्यादातर कपास किसान इस समय एमएसपी से नीचे दाम मिलने से हताश हैं.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अब तक खरीदी गई कपास का करीब 80 फीसदी एमएसपी से नीचे बिका है. फाजिल्का, बठिंडा, मानसा और मुक्तसर की मंडियों में अब तक 6,078 क्विंटल कपास बिका. इसमें से 4,867 क्विंटल एमएसपी से कम दामों पर खरीदा गया. न्यूनतम भाव 4,500 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल तक ही रहे.
दरअसल, सरकारी एजेंसी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने अभी तक कपास की खरीद शुरू नहीं की है और फिलहाल पूरा व्यापार निजी खिलाड़ियों के हाथ में है. ऐसे में किसानों को सही दाम मिलना भी मुश्किल हो गया है. अब तक पंजाब की मंडियों में 11,218 क्विंटल कपास की आवक हो चुकी है. इस साल राज्य में 1.19 लाख हेक्टेयर पर कपास बोई गई थी. लेकिन अगस्त-सितंबर में आई बाढ़ ने 12,100 हेक्टेयर फसल चौपट कर दी. जिन इलाकों में बाढ़ नहीं आई, वहां भी फसल में नमी ज्यादा है.
साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के डॉ. भागीरथ चौधरी का कहना है कि बाढ़ से कपास की स्ट्रेंथ घट गई और नमी आठ फीसदी की तय सीमा से ज्यादा हो गई. इसी वजह से निजी व्यापारी बहुत कम दाम दे रहे हैं. उन्होंने सीसीआई को पत्र लिखकर तुरंत खरीद शुरू करने की अपील की है ताकि किसानों को आर्थिक संकट से राहत मिल सके.
मानसा के खियाली चाहियांवाली गांव के किसान और बीकेयू एकता डकौंडा के उपाध्यक्ष बलकार सिंह बताते हैं कि हाल ही में मंडी में किसानों ने प्रदर्शन किया. वजह यह थी कि निजी व्यापारी 5,300 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा देने को तैयार नहीं थे. उनका कहना है कि अगर सीसीआई बाजार में नहीं उतरेगा तो किसानों के पास विकल्प क्या बचेगा. इसी कारण किसान फसलों की गारंटीशुदा खरीद एमएसपी पर करने की मांग बार-बार उठा रहे हैं.
मौर के आढ़ती रजनीश जैन कहते हैं कि व्यापारी ज्यादा भाव देने से कतरा रहे हैं, क्योंकि बारिश के चलते कपास में नमी बहुत ज्यादा है. लेकिन, इस बार दाम गिरने और सरकारी खरीद के अभाव ने पंजाब के किसानों को निराश कर दिया है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today