Onion Price: प्याज के मुद्दे पर सांसद ने जुलाई में लगाई थी गुहार, किसानों का हो गया नुकसान तब खुली सरकार की नींद

Onion Price: प्याज के मुद्दे पर सांसद ने जुलाई में लगाई थी गुहार, किसानों का हो गया नुकसान तब खुली सरकार की नींद

Onion Price Crisis: नास‍िक से सांसद राजाभाऊ ने जुलाई में ही प्याज के दाम और गिरने की आशंका जताते हुए केंद्र से किसानों को राहत देने की मांग की थी. जिस पर लंबे समय बाद केंद्रीय मंत्रि‍यों ने जवाब दिया. सरकार के लेटर वाले खेल के चलते किसान कई महीनों से नुकसान उठा रहे हैं और अब तक कोई ठोस एक्‍शन नहीं हुआ है. पढ़ें सांसद ने क्‍या मांग की थी और मंत्रियों की ओर से क्‍या जवाब आया...

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Onion Price: प्याज के मुद्दे पर सांसद ने जुलाई में लगाई थी गुहार, किसानों का हो गया नुकसान तब खुली सरकार की नींदप्‍याज किसानों की मदद लेटर के फेर में उलझी!

प्याज उत्पादक किसानों की समस्या को लेकर नास‍िक के सांसद राजाभाऊ (पराग) प्रकाश वाजे ने केंद्र सरकार को जुलाई महीने में ही आगाह कर दिया था कि आगामी सीजन में भारी आवक से प्याज के दामों में गिरावट आएगी, जिससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. सांसद वाजे ने जुलाई 2025 के अंत में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर प्याज निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तात्कालिक राहत उपायों की मांग की थी. लेकिन, सरकार ने इस मुद्दे पर कार्रवाई करने में तीन महीने से भी ज्यादा समय लगा दिया. अब जाकर दोनों मंत्रियों ने पत्र के जरिए जवाब दिया है. लेकिन अभी भी जो जवाब द‍िया है, उसमें भी कोई न‍िष्कर्ष नहीं है. उसमें सरकार अभी भी कमेटी-कमेटी का खेल खेल रही है. 

सांसद वाजे ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा था कि इस साल अच्छी मॉनसूनी बारिश और समय पर आने वाली दक्षिण की फसल के कारण अगस्त से ही बाजार में प्याज की आवक बढ़ेगी. उन्होंने आशंका जताई थी कि इतनी बड़ी मात्रा में प्याज आने से बाजार में दामों में तेज गिरावट होगी, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. इस स्थिति से निपटने के लिए सांसद ने सरकार से दो प्रमुख मांगें की थीं. पहली, प्याज निर्यात पर मिलने वाली सब्स‍िडी को बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया जाए. दूसरी, प्याज निर्यात पर ट्रांसपोर्ट और मार्केटिंग सहायता (TMA) योजना के तहत 7 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाए, ताकि ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम हो और भारतीय प्याज अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सके.

पाक‍िस्तान और चीन का उदाहरण

सांसद वाजे ने केंद्र सरकार को तर्क दिया था कि पाकिस्तान और चीन जैसे देश अपने किसानों और निर्यातकों को भारी प्रोत्साहन देते हैं, जिसके चलते भारतीय प्याज की प्रतिस्पर्धा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर पड़ रही है. उन्होंने कहा था कि समय रहते निर्यात को प्रोत्साहन नहीं मिला तो घरेलू बाजार में कीमतें गिरेंगी और किसानों को भारी आर्थिक संकट झेलना पड़ेगा. लेक‍िन सरकार ने समय रहते इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं ल‍िया. नतीजा यह हुआ क‍ि प्याज की कीमतों में भारी ग‍िरावट आ गई, ज‍िससे क‍िसानों को बड़ी आर्थ‍िक चोट झेलनी पड़ी. 

सरकार को अब म‍िला समय

बहरहाल, सांसद के पत्र लिखने के तीन महीने बाद सरकार को अब होश आया है, जब क‍िसानों को काफी नुकसान हो चुका है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 27 अक्टूबर को भेजे अपने जवाब में बताया कि सांसद वाजे की सिफारिशें वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में गठित RoDTEP (Remission of Duties and Taxes on Exported Products) समिति को विचार करने के लिए भेज दी गई हैं.

वहीं, परिवहन सब्सिडी के प्रस्ताव को भी उचित कार्रवाई के लिए नोट किया गया है. इसके अलावा, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 29 सितंबर को भेजे अपने पत्र में जानकारी दी कि सांसद की मांगों को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) और वाणिज्य विभाग (DoC) को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है.

प्याज के ल‍िए एमएसपी की मांग

हालांकि, अब जब दोनों मंत्रालयों ने जवाब दिए हैं, तब तक प्याज के दामों में गिरावट से किसानों को पहले ही भारी नुकसान हो चुका है. बाजार में भरपूर आवक और निर्यात में कमी के चलते प्याज के भाव लागत से नीचे चले गए, जिससे किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी. महाराष्‍ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है क‍ि 3000 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर प्‍याज खरीदी जाए. क‍िसानों का कहना है क‍ि प्याज को एमएसपी के दायरे में लाकर उसका दाम सुन‍िश्च‍ित क‍िया जाए. 

प्याज क‍िसानों की दुर्दशा

किसानों का कहना है कि प्रति क्विंटल प्‍याज उगाने पर उनकी 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल लागत आती है, लेकिन दाम बेहद कम है, जिससे काफी नुकसान हो रहा है. ऐसे में कम से कम 3000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी मिलना चाहिए. इस बीच, अब राजस्‍थान में तो कम दाम मिलने के कारण किसानों द्वारा सड़कों और नदियों में प्‍याज फेंकने के मामले देखे जा रहे हैं. राज्‍य के अलवर जिले में हाल के दिनों में ऐसी 2-4 घटनाएं देखने को मिली हैं.

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