भारत में आलू, प्याज और टमाटर सालभर खायी जाने वाली प्रमुख सब्जियां हैं. मंडियों में इनकी आवक भी लगातार बनी रहती है. वैसे तो मॉनसून सीजन में ज्यादातर सब्जियों की कीमतें आसमान छूने लगती हैं. लेकिन इन दिनों पिछले साल के मुकाबले थोक मंडियों में प्याज और आलू की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई है. मुख्य फसलों के थोक मंडी भावों में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला है. एगमार्कनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 9 सितंबर 2025 को प्याज का मौजूदा थोक भाव 1172.54 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 65.63 प्रतिशत कम है. एक साल पहले प्याज की कीमत 3411.79 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो अब घटकर एक तिहाई से भी कम रह गई है.
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हफ्ते की तुलना में भी प्याज के भाव में 2.17 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि एक महीने पहले के मुकाबले 10.90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. वहीं, आलू के मामले में भी स्थिति चिंताजनक है. वर्तमान में आलू का थोक भाव 1065.09 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले साल के 2145.47 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 50.35 प्रतिशत कम है. हालांकि, पिछले हफ्ते की तुलना में आलू के भाव में 1.53 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन एक महीने पहले के मुकाबले 0.21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
प्याज और आलू के गिरते दामों से किसान परेशान हैं. प्याज किसान जहां 22-25 रुपये किलो लागत आने की बात कहते हैं तो वहीं आलू उगाने वाले किसान कम से कम 15 रुपये किलो भाव की मांग करते हैं, ताकि उन्हें नुकसान न हो. प्याज के गिरते दामों से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के किसान चिंतित हैं और वे सरकार से लगातार इस ओर सही कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. किसानों की सबसे बड़ी मांगों में प्याज पर 3000 रुपये क्विंटल समर्थन मूल्य की और एक ठोस और स्थायी निर्यात नीति की मांग शामिल है.
टमाटर के भाव में भी गिरावट का ट्रेंड देखा गया है. 9 सितंबर को टमाटर का औसत थोक भाव 1934.28 रुपये प्रति क्विंटल है. पिछले हफ्ते की तुलना में टमाटर के भाव में 19.10 प्रतिशत की भारी गिरावट आई और जबकि एक महीने पहले के मुकाबले दाम 40.76 प्रतिशत तक गिर गए है. हालांकि, पिछले साल के मुकाबले 9 सितंबर को दाम 0.12 प्रतिशत ज्यादा रहे. लेकिन इससे किसानों की आय में भारी गिरावट हुई है.
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