पराली जलाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद किसानों में खासा गुस्सा दिखाई दे रहा है. किसानों का कहना है कि ये टिप्पणी किसानों के हक में नहीं हैं. किसान इसको लेकर सरकार पर भी जमकर बरसते नजर आए. अंबाला में हुई किसान चौपाल में किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ कॉर्पोरेट के लिए काम कर रही है. किसानों के पराली जलाने से ज्यादा तो उद्योग से प्रदूषण होता है, लेकिन उन पर कोई एक्शन नहीं होता, बल्कि किसानों पर ही होता है.
आज हरियाणा के सोनीपत में हुई किसान चौपाल में सुप्रीम अदालत की इस टिप्पणी पर एक किसान ने कहा कि कोर्ट का फैसला कभी भी किसानों की हित में नहीं आता है. कोर्ट को कभी भी फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं नहीं दिखाई देता. उसे सिर्फ किसानों की पराली दिखाई देती है, लेकिन सरकार पराली का कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं कर पा रही है और किसानों को मजबूरी में पराली जलानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि किसान आगे भी इसी तरह पारली जलाते रहेंगे. गौरतलब है कि पराली के मुद्दे पर हाल ही में चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने पंजाब सरकार से तीखा सवाल किया कि क्यों न कुछ गलत किसानों को गिरफ्तार कर सख्त संदेश दिया जाए?
चौपाल में आए किसानों ने कहा कि ये हमारे लिए कोई नई बात नहीं है, किसानों की हमेशा गिरफ्तारी होती है. सरकार और कोर्ट को कॉर्पोरेट का हितेषी बता दिया. पराली जलाकर किसान कोई खुश नहीं हैं, मजबूरी में किसान पराली जलाते हैं. किसान हमेशा बेबस होता है. सरकार व्यापारी की मदद करती है ना कि किसानों के साथ है. किसानों का कहना है कि सरकार पराली की ऐसी व्यवस्था करे कि पराली जलानी ही ना पड़े. किसानों को पराली का पैसा मिले, सरकार एमएसपी गारंटी कानून लागू करे. उनका कहना है कि जो किसान कुदरत की मार में फंसे हुए हैं, सरकार उनकी फसल के अच्छे रेट दे और किसानों की खराब फसल एक उचित मुआवजा दे.
चौपाल में अमरजीत सिंह मौड़ी ने कहा कि किसानों का नाम लेकर यह सरकार कंपनियों को नई-नई योजना बनाकर लूट करने के लिए खुली छूट और लाइसेंस देते हैं. वैसे ही इस सरकार में झूठ बोलने की आदते हैं. जितने कनून बनाए वो किसान के खलाफ और कॉर्पोरेट के लिए बनाए. हमारा मानना है कि इस देश की सरकारों ने किसान और मजदूर के खिलाफ और कॉर्पोरेट के हक के कनून बनाए हैं.
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