ओडिशा में चालू खरीफ सीजन के दौरान उर्वरक संकट को लेकर बवाल मचा हुआ है. इस मुद्दे पर विपक्षी बीजद के विरोध प्रदर्शन और हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही मानसून सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को नहीं चल सकी. सदन में बीजद सदस्यों द्वारा उर्वरक की कमी और राज्य भर में किसानों के आंदोलन पर विस्तृत चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करने के कारण कार्यवाही बार-बार बाधित हुई. सदन की कार्यवाही चलाने में असमर्थ, अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने दिन में दो बार कार्यवाही स्थगित कर दी. सदन दो चरणों में मुश्किल से केवल आठ मिनट ही कार्यवाही कर सका.
सुबह, बीजद विधायक हाथों में तख्तियां लिए और भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए, अध्यक्ष के आसन ग्रहण करने से पहले ही सदन के आसन के सामने आ गए. उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा को "किसान विरोधी" पार्टी बताया. जब अध्यक्ष ने आंदोलनकारी सदस्यों से अपनी सीटों पर लौटने का बार-बार अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने कार्यवाही शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. विरोध प्रदर्शनों के बीच सुबह विधानसभा केवल चार मिनट ही चल सकी. हालांकि उन्होंने स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री नित्यानंद गोंड को भाजपा सदस्य टंकधर त्रिपाठी के प्रश्न का उत्तर देने की अनुमति दी, लेकिन शोरगुल के कारण कुछ भी सुना नहीं जा सका.
विधानसभा में बीजद का विरोध प्रदर्शन खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री के.सी. पात्रा द्वारा राज्य भर में उर्वरकों की कालाबाजारी की बात स्वीकार करने के एक दिन बाद हुआ. जब सदन की कार्यवाही शाम 4 बजे पुनः शुरू हुई, तो बीजद सदस्यों ने राज्य में उर्वरक संकट पर विस्तृत चर्चा की मांग शुरू कर दी. भोजन के बाद की कार्यवाही लगभग चार मिनट तक चली, जिसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही शनिवार सुबह 10.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. सदन के बाहर, विपक्ष की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने दावा किया कि उन्हें सदन के बीचों-बीच प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि सरकार ने सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे "किसानों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़" किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार किसानों की मांग पूरी करने में विफल रही है और राज्य भर में उर्वरकों की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी हो रही है.
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उर्वरक संकट पर बहस के लिए नोटिस स्वीकार करने के बावजूद, मलिक ने कहा कि हम सभी कार्यवाही स्थगित करके सदन में पूर्ण चर्चा की मांग कर रहे हैं. जब राज्य की 60 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी किसानों की है, तो 15-20 मिनट की चर्चा उचित नहीं होगी. हालांकि, भाजपा विधायक अगस्ती बेहरा ने आरोप लगाया कि विपक्षी बीजद ने "सरकार को बदनाम" करने के लिए कार्यवाही बाधित की. भाजपा विधायक ने दावा किया कि जब अध्यक्ष ने प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कांग्रेस का नोटिस स्वीकार कर लिया, तो हंगामा करने का कोई मतलब नहीं था. प्रचार पाने के लिए इस तरह के तरीके अपनाए जाते हैं.
वहीं कांग्रेस विधायक अशोक दास बीजद के इस कदम से हैरान थे और उन्होंने कहा कि वे स्थगन प्रस्ताव के ज़रिए इस मामले पर चर्चा कर सकते थे. दास ने आरोप लगाया, "बहस में शामिल होने के बजाय, बीजद ने यह सुनिश्चित किया कि सदन स्थगित हो जाए. हमें संदेह है कि बीजद ने भाजपा सरकार को बचाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया. इस बीच, भाजपा सदस्य पद्मलोचन पांडा ने गुरुवार को भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर अपने नोटिस के बारे में मीडिया से बात करने के लिए कांग्रेस विधायक दल के नेता राम चंद्र कदम सहित 6 कांग्रेस विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की धमकी दी.
भाजपा सदस्य पांडा ने दावा किया कि ओडिशा विधानसभा के नियमों के अनुसार, कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पर नोटिस के बारे में सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं कर सकता. 6 कांग्रेस विधायकों ने नियमों का उल्लंघन किया और अध्यक्ष को नोटिस की एक प्रति सौंपते ही पत्रकारों को इसके बारे में बता दिया. पांडा के आरोपों को खारिज करते हुए, अशोक दास ने दावा किया कि उन्होंने विधानसभा सचिव को सूचित करने के बाद ही मीडिया को 'अविश्वास' नोटिस के बारे में लिखित रूप से बताया था. कांग्रेस विधायक ने आगे कहा, "हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिससे सदन के नियमों का उल्लंघन होता हो."
(सोर्स- PTI)
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