ओडिशा में किसानों को मिलेगी 'कटनी-छंटनी' से मुक्ति, AI से होगी धान की क्वालिटी की जांच

ओडिशा में किसानों को मिलेगी 'कटनी-छंटनी' से मुक्ति, AI से होगी धान की क्वालिटी की जांच

किसानों को धान खरीद के दौरान धान की औसत गुणवत्ता को लेकर परेशान नहीं किया जाए और कटनी-छंटनी के नाम पर उनसे लूट नहीं की जाए यह सुनिश्चित करने के लिए  आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. 

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ओडिशा में किसानों को मिलेगी 'कटनी-छंटनी' से मुक्ति, AI से होगी धान की क्वालिटी की जांचओडिशा में धान खरीद (सांकेतिक तस्वीर)

ओडिशा के धान किसानों को अब यहां धान खरीद के दौरान होने वाली कटनी-छंटनी प्रथा से जल्द मुक्ति मिलने वाली है. यह ऐसी प्रथा है जिसमें धान खरीद के दौरान नमी और अन्य बहाना बनाकर धान के वजन में कटौती की जाती है. इससे किसानों को काफी परेशानी होती है और नुकसान भी होता है. इसके कारण धान खरीद के सीजन में किसानों राज्य के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन भी करते हैं. प्रशासनिक दावे के बावजूद यह प्रथा बदस्तूर जारी थी. लेकिन अब किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि  अब इससे निपटने के लिए राज्य सरकार एआई की मदद लेगी.

बता दें की राज्य में नवंबर की शुरुआत में शुरू होने वाले धान की खरीद में सरकार ने 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा की है. साथ ही किसानों को धान खरीद के दौरान धान की औसत गुणवत्ता को लेकर परेशान नहीं किया जाए और कटनी-छंटनी के नाम पर उनसे लूट नहीं की जाए यह सुनिश्चित करने के लिए  आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. 

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एआई से होगा खाद्यान्न का मूल्यांकन

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने बताया कि सहकारिता विभाग जल्द ही धान खरीद केंद्रों और मंडियों को धान सहित अनाज के विभिन्न मापदंडों का आकलन करने के लिए एआई-आधारित स्वचालित खाद्यान्न विश्लेषक से लैस करेगा. इससे खाद्यान्न का मूल्यांकन एआई से किया जाएगा जो  किसान और धान खरीददारों के बीच धान की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवालों को दूर करने में मदद करेगा. साथ ही धान की गुणवत्ता की जांच को आसान और पारदर्शी बनाएगा. 

किसानों को उनकी उपज की मिलेगी अच्छी कीमत

बता दें कि मिल मालिकों और आपूर्ति पदाधिकारियों के बीच कथित सांठगांठ के माध्यम से राज्य में कटनी-छंटनी प्रथा चलाई जाती है जो किसानों के लिए एक अभिशाप बन गए हैं. इस प्रथा में खरीद केंद्रों में किसानों को  धान में नमी की मात्रा, भूसे की मात्रा को आधार बनाकर एक क्विंटल में चार से छह किलो तक वजन में  कटौती की जाती है. अधिकारियों ने कहा कि उचित गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए ग्रेडिंग आवश्यक है. ताकि किसानों को उनके उपज के अच्छे दाम मिल सके. लेकिन एफएक्यू बनाए रखने के बहाने में धान के वजन में अवैध कटौती नहीं होने दी जाएगी.

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धान खरीद में आएगी तेजी

सहकारिता विभाग के सचिव राजेश प्रवाकर पाटिल ने कहा कि अब तक खाद्यान्न की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए मैनुअल तरीके का ही इस्तेमाल किया जाता था. इसके अधिक समय लगता है. इसके कारण खरीद और विपणन की प्रक्रिया प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि इन सब कमियों को दूर करने के उद्देश्य से एआई आधारित मूल्यांकन का उपयोग करने का फैसला किया गया है. इससे धान खरीद की प्रक्रिया में नमूना लेने में तेजी आएगी और यह इस प्रक्रिया को और सटीक और तेज बनाएगा. इससे समय की बचत होगी. 
 

 

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