'नैनो तकनीक से आधा हो सकता है खाद सब्सिडी का खर्च', सहकार से समृद्धि कार्यक्रम में बोले योगेंद्र कुमार

'नैनो तकनीक से आधा हो सकता है खाद सब्सिडी का खर्च', सहकार से समृद्धि कार्यक्रम में बोले योगेंद्र कुमार

भारतीय बीज सहकारी समिति के चेयरमेन योगेंद्र कुमार ने नैनो फर्टिलाइजर को गेमचेंजर बताया. उन्होंने कहा कि परंपरागत यूरिया का अधिकतर हिस्सा बेकार जाता है और प्रदूषण बढ़ाता है. नैनो खाद के प्रयोग से उत्पादन बढ़ाने के साथ रासायनिक खाद पर निर्भरता और सब्सिडी घटाई जा सकती है.

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'नैनो तकनीक से आधा हो सकता है खाद सब्सिडी का खर्च', सहकार से समृद्धि कार्यक्रम में बोले योगेंद्र कुमारभारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के चैयरमेन योगेंद्र कुमार

यूनाइटेड नेशन ने वर्ष 2025 को अंतरराष्‍ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषि‍त किया है. भारत भी सहकारिता के माध्‍यम से नए कीर्तिमान गढ़ रहा है और यहां सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए विभ‍िन्‍न कार्यक्रम आयाजित किए जा रहे हैं. इसी क्रम में आज सहकारी संस्था नेफेड ने 20 जून 2025 को मुंबई में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (आईवाईसी) 2025 मनाने के लिए एक राष्ट्रीय संगोष्‍ठी कार्यक्रम ‘सहकार से समृद्धि’ आयोजित किया है. इस कार्यक्रम में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में सहकारी समितियों की उपलब्धियों पर बात होगी. कार्यक्रम में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. वहीं, इसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होंगे. इसके अलावा कार्यक्रम में सहकारी संस्थाओं के प्रमुख, नीति निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ सहित प्रमुख हितधारक एक साथ आएंगे. 

 नैनो फर्टिलाइजर पर चर्चा हुई

कार्यक्रम के दौरान सहकारिता 2.0- वित्‍त और तकनीक से विकास की नई राह सत्र में भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के चैयरमेन योगेंद्र कुमार, सहकारिता मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक राम कृष्‍ण, ग्‍लोबल ग्रेन्‍स एंड पल्‍सेस काउंसिल के फाउंडिंग कन्‍वीनर दीपक पारीख, नाबार्ड के जनरल मैनेजर डॉ. एबी रविंद्र प्रसाद चर्चा के लिए शामिल हुए. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे ग्रुप के मैनिजिंग एडिटर साहि‍ल जोशी ने किया. 

सत्र के दौरान भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के चैयरमेन योगेंद्र कुमार से नैनो फर्टिलाइजर पर चर्चा हुई. उनसे पूछा गया कि क्‍या नैनो फर्टिलाइज गेमचेंजर साबित होंगे? इस पर उन्‍होंने कहा कि उदहारण देते हुए समझाया कि अगर आप अपने खेत में 100 किलो यूरिया का इस्‍तेमाल करते हैं तो उसमें मौजूद 46 प्रत‍िशत पोषक तत्‍वों में से मात्र 15 किलो या इससे कम ही पौधों के काम में आता है. बाकी की 85 किलो मात्रा जमीन, पानी और वातावरण को प्रदूषित करने काम करती है. 

ऑर्गेनिक कार्बन से उत्‍पादकता पर असर

उन्‍होंने कहा कि पहले हमारी खेती जैविक हुआ करती थी, लेकिन जब रासायनिक उर्वरकों का समावेश हुआ तो हमने इसपर निर्भरता बढ़ा ली और जैवि‍क पोषक तत्‍वों को खुद खत्‍म कर दिया. अब ज्‍यादा रासायनिक उर्वरक के इस्‍तेमाल के बाद उत्‍पादन वृद्ध‍ि की दर कम होती जा रही है. इस दौरान उन्‍होंने बताया कि जमीन में मौजूद ऑर्गेनिक कार्बन का स्‍तर काफी घट गया है. इस दौरान उन्‍होंने पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व में की गई एक अपील का जिक्र किया, जिसमें उन्‍होंने किसानों से यूरिया के इस्‍तेमाल को कम करने के लिए कहा था. साल 2017 में हम लोगों ने नैनो उर्वरक पर काम किया और 2019 में इसमें सफलता मिली और 2021 में बहुत सी जांचों के बाद निबंधि‍त किया. 

तो आधा हो जाएगा सब्सिडी का खर्च

योगेंद्र कुमार ने कहा कि रासायनिक खादों के इस्‍तेमाल और आयात को कम करने में नैनो खाद बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं. भारत में किसानों तक जो निवेश पहुंचा है, उसमें सहकारी संस्‍थाओं का बड़ा रोल है. नैनो खाद को किसानों तक पहुंचाने में भी सहकारि‍ता भी बड़ी भूमिका निभाएगा. इस दौरान उन्‍होंने यह भी साफ किया कि नैनो के इस्‍तेमाल से खाद के इस्‍तेमाल को कम किया जा सकता है, पूरी तरह खत्‍म नहीं कर सकते. हालांकि, किसानों ने यह कर‍ दिखाया है कि इसके इस्‍तेमाल से खाद की निर्भरता को कम किया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि अगर हम नैनो तकनीक से बने खाद का इस्‍तेमाल कर रासायनिक खादों का इस्‍तेमाल आधा कर लेते हैं तो इन पर मिलने वाली आधी सब्सिडी को कम किया जा सकता है. 

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