आज है World Soil Day, क्या है इस खास दिन का इतिहास और महत्व

आज है World Soil Day, क्या है इस खास दिन का इतिहास और महत्व

आज दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन की चुनौती सबसे बड़ी है जिसका सबसे बड़ी शिकार मिट्टी हुई है. मिट्टी का रोल सिर्फ फूड प्रोडक्शन तक सीमित नहीं है. अगर मिट्टी की सेहत ठीक है तो प्लांट की सेहत ठीक रहेगी. ऐसे में आइए जानते हैं World Soil Day का इतिहास और महत्व.

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आज है World Soil Day, क्या है इस खास दिन का इतिहास और महत्वविश्व मृदा दिवस

World Soil Day 2024: हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मिट्टी के संरक्षण, महत्व और उसके टिकाऊ उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. मिट्टी पृथ्वी पर जीवन का आधार है क्योंकि भोजन के लिए यही मिट्टी सबसे बड़ा रोल अदा करती है. साथ ही पर्यावरण के संतुलन में भी मिट्टी अहम भूमिका निभाती है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) हर साल विश्व मृदा दिवस मनाता है. इसमें बताया जाता है कि अगर मिट्टी न हो तो पौधे नहीं होंगे और न ही इंसान और जानवर होंगे. यदि मिट्टी न हो तो पूरी फूड चेन और सभी जिंदा जीवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.

वर्ल्ड सॉइल डे का इतिहास

2002 में, अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने मिट्टी को पहचानने के लिए एक वैश्विक दिवस की स्थापना का प्रस्ताव रखा. एफएओ ने इस पहल का समर्थन किया और वैश्विक मिट्टी भागीदारी के ढांचे के भीतर थाईलैंड की अगुवाई में आधिकारिक तौर पर विश्व मृदा दिवस की स्थापना में सहायता की. एफएओ के सम्मेलन को जून 2013 में  सभी की सहमति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया गया था और 68वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे औपचारिक रूप से अपनाने की वकालत की. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर 2014 को पहले विश्व मृदा दिवस की घोषणा की.

वर्ल्ड सॉइल डे का महत्व

विश्व मृदा दिवस थाईलैंड के राजा एचएम राजा भूमिबोल अदुल्यादेज की जयंती के साथ मेल खाता है, जिन्होंने शुरुआत में इस घटना को मान्यता दी थी. इस वैश्विक प्रयास का उद्देश्य महत्वपूर्ण मिट्टी के प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करके लोगों की मिट्टी के प्रति जागरूकता में सुधार करना है. मिट्टी के पोषक तत्वों की हानि, मिट्टी की गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है.

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मिट्टी की देखभाल का समय

आज दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन की चुनौती सबसे बड़ी है जिसका सबसे बड़ी शिकार मिट्टी हुई है. मिट्टी का रोल सिर्फ फूड प्रोडक्शन तक सीमित नहीं है. अगर मिट्टी की सेहत ठीक है तो प्लांट की सेहत ठीक रहेगी, अगर प्लांट हेल्थ ठीक है तो एनिमल हेल्थ ठीक रहेगी और एनिमल हेल्थ ठीक रहेगी तभी इंसानों की सेहत भी ठीक रहेगी. यह सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसलिए अब समय मिट्टी की केयर करने का है.

इस साल का क्या है थीम

विश्व मृदा दिवस 2024 का विषय है “मृदा की देखभाल: मापें, निगरानी करें, प्रबंधन करें.” यह विषय मिट्टी के स्वास्थ्य का आकलन करने और उसके लिए निर्णय लेने में सटीक मिट्टी डेटा और सूचना की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है. मिट्टी के मापने, निगरानी और प्रबंधन को प्राथमिकता देकर, हम मिट्टी की रक्षा कर सकते हैं.

मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन

बात करें सॉइल ऑर्गेनिक कार्बन की, जो खेती की उर्वरता के लिए ये बेहद जरूरी है. इंडो-गंगेटिक प्लेन, जिसमें खासतौर पर धान और गेहूं की फसल ली जाती है उसमें सॉइल ऑर्गेनिक कार्बन (SOC) 1960 के दशक के मुकाबले अब काफी कम हो गया है. इसे ठीक करना बड़ी चुनौती है. इसकी कमी से पौधे का विकास रुक जाता है और उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता धीमी हो जाती है. इसके घटने से खेत में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. जिससे उत्पादन कम होने लगता है.

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