भारत में गेहूं पर घमासान मचा हुआ है. आलम ये है कि इस साल गेहूं का सरकारी स्टॉक 16 सालों के सबसे निचले स्तर पर है. इसके बीच केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने इस बार 112 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का अनुमान जारी किया था, लेकिन गेहूं की सरकारी खरीद अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई है, तो वहीं गेहूं के दामों में तेजी बरकरार है. जिसे देखते हुए बीते कुछ दिनों से गेहूं इंपोर्ट पर अटकलों का बाजार गर्म है.
इन सबके बीच केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय की एंट्री हुई है, मंत्रालय के सचिव ने देश में गेहूं की कमी ना होने का हवाला देते हुए गेहूं पर स्टॉक पर लिमिट लगा दी है. गेहूं पर जारी इस घमासान के बीच पुख्ता तौर पर कहा जा रहा है कि इस बार गेहूं इंपोर्ट करेगा इंडिया...
आइए गेहूं पर घमासान की विस्तार से कहानी जानते हैं. समझते हैं कि खाद्य सचिव के आदेश से गेहूं के बाजार पर क्या असर पड़ेगा और समझेंगे कि आखिर पुख्ता तौर ये क्यों कहा जा रहा है कि इस बार इंडिया गेहूं इंपोर्ट करेगा.
देश में गेहूं पर जारी इस घमासान की कहानी को केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा की तरफ सोमवार को दिए बयान और आदेश के बाद से शुरू करते हैं. उससे पहले उनके बयान और आदेश के बैकग्राउंड काे समझते हैं. असल में बीते रोज ही एक अंंग्रेजी अखबार ने खाद्य व उपभोक्ता संबंधी मामालों के मंत्रालय से जुड़े तीन अधिकारियों के हवाले से भारत के गेहूं इंपोर्ट करने संबंधी खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद खाद्य सचिव की प्रेस कांफ्रेस को डैमेज कंट्रोल माना जा रहा है.
असल में सोमवार को खाद्य सचिव ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि गेहूं के दाम स्थिर रखने के लिए कदम उठाए जाएंगे. हमारे पास पिछले साल से केवल 3 लाख मीट्रिक टन स्टॉक कम है. 2024-25 में कीमतें स्थिर रखी जाएंगी. सरकार के पास सभी विकल्प खुले हैं, कोई विकल्प बंद नहीं है.
वहीं उन्होंने कहा कि सरकार ने गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी है जो आज से शुरू हो रही है. वहीं उन्हाेंने बताया कि अब से थोक विक्रेता 3 मिलियन मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेता 1 मिलियन मीट्रिक टन, बड़ी बिजनेस चेन वाले खुदरा विक्रेता प्रति आउटलेट 1 मिलियन मीट्रिक टन स्टॉक गेहूं ही अपने पास रख सकेंगे.
सरकार ने गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगा दी है, सरकार को ये फैसला गेहूं के बढ़ते हुए दामों को देखते हुए लेना पड़ा है, लेकिन इस फैसले की पीछे की असल वजह गेहूं का उलझा हुआ गणित है. असल में इस बार लगभग 75 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं ही अप्रैल में सरप्लस था. वहीं इस बीच जून बीतने तक 266 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है. अगर जोड़े तो सरकार के पास लगभग 240 मिलियन टन गेहूं ही रहना है. इसी गेहूं से खाद्यान्न सुरक्षा भी सुनिश्चित होनी है, जिसके तहत राशन की दुकानों के लिए 185 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का आंवटन होना है. इसके बाद 65 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं ही सरप्लस रहता है. अगर आंकड़ों में देखें तो 65 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं बफर स्टॉक के मानकों से नीचे है. FCI के मानकों के अनुसार अप्रैल में 75 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं बफर स्टॉक के लिए होना चाहिए.
गेहूं पर जारी इस घमासान के बीच सवाल अभी बरकरार है कि क्या इंडिया गेहूं इंपोर्ट करेगा. असल में भारत ने 6 साल पहले गेहूं इंपोर्ट किया था, उसके बाद से गेहूं पर 44 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी गई है. इंपोर्टर इस इंपोर्ट ड्यूटी को हटाने की मांग कर रहे है, जिससे सस्ता गेहूं भारत आ सके. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि गेहूं इंपोर्ट पर स्थिति परीक्षण के लिए ही स्टॉक लिमिट का फैसला लिया गया है. अगर स्टॉक लिमिट लगाने के बाद भी गेहूं के दामों में तेजी बरकरार रहती है तो ये गेहूं इंपोर्ट का मजबूत आधार बन सकता है.
भारत की तरफ से गेहूं इंपोर्ट को लेकर भारतीय खाद्य व कृषि चैंबर के अध्यक्ष डॉ एमजे खान कहते हैं कि देश में गेहूं स्टॉक भरपूर है, लेकिन दामों को स्थिर करने और सरकारी स्टॉक से जुड़ी भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए गेहूं इंपोर्ट को हरी झंडी मिल सकती है. डाॅ खान आगे कहते हैं कि वह समझते हैं कि इंपोर्ट होने वाले गेहूं की मात्रा अधिक नहीं होगी. एक से दो मिलियन टन ही गेहूं इंपोर्ट होगा.
डॉ एमजे खान बताते हैं कि बीते महीने लंदन में खाद्य परिषद् की बैठक हुई थी, उस बैठक में भारत की तरफ से गेहूं इंपोर्ट पर चर्चा हुई थी, वह बताते हैं कि परिषद् में इंपोर्ट पर फैसले नहींं होते हैं, लेकिन चर्चा गेहूं इंपोर्ट की तरफ इशारा करती है.
वहीं अंंग्रेजी अखबार द मिंट ने खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यदि गेहूं इंपोर्ट के लिए ड्यूटी कम की जाती है, तो इंपोर्टेट गेहूं जुलाई से साउथ इंडिया के पोर्ट से पहुंचना शुरू हो जाएगा. वहीं ये भी माना जा रहा है त्यौहारी सीजन से पहले खाद्य महंगाई को कम करने के लिए ओएमएसएस के जरिए गेहूं बिक्री की योजना है, जिसके लिए गेहूं इंपोर्ट करना पड़ेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today