गेहूं की झंडा पत्ती जितना स्वस्थ होगी, उत्पादन उतना ही अच्छा मिलेगा.हर किसान की चाहत होती है कि उसके खेत में गेहूं की बालियां लहलहाएं, बालियां लंबी हों, दाने मोटे हों और उपज बंपर मिले. इसके लिए किसान कड़ी मेहनत भी करता है. समय पर खाद और सिंचाई का इंतजाम किया जाता है. ऐसे में अगर आप भी गेहूं की खेती कर रहे हैं तो आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. आज हम गेहूं की झंडा पत्ती के बारे में जानेंगे जो गेहूं की बालियां बढ़ाने, दाने मोटे करने और पैदावार बढ़ाने में मदद करती है.
झंडा पत्ती गेहूं की फसल में सबसे महत्वपूर्ण होती है. यह पत्ती फसल के अंदर फोटोसिंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है, जिससे बालियों में दाने अच्छे से भरते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर झंडा पत्ती चौड़ी और लंबी होगी, तो बालियों में दाने का भराव नीचे से ऊपर तक पूरी तरह से हो पाएगा. झंडा पत्ती की सही देखभाल से दाने की चमक और वजन में भी सुधार होता है.
अगर गेहूं के पौधे से अधिक पैदावार चाहिए तो किसान को सबसे पहले झंडा पत्ती का खयाल रखना चाहिए. झंडा पत्ती बीमार हो, कमजोर हो तो बालियां भी बीमार होंगी और पैदावार अच्छी नहीं मिलेगी. झंडा पत्ती को स्वस्थ रखने के लिए समय पर उचित मात्रा में खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए.
इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि पौधे पर एनपीके खाद का छिड़काव किया जाए. इससे पौधे की वृद्धि होने के साथ दानों में भी सुधार होता है. इससे पत्ते भी हरे-भरे बने रहते हैं. इसके अलावा फॉस्फोरस और पोटाश के छिड़काव से भी पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है और दानों का आकार बड़ा होता है.
गेहूं की फसल में रतुआ रोग एक गंभीर समस्या है, जो झंडा पत्ती को नुकसान पहुंचा सकती है. इस रोग के कारण फसल पीली पड़ जाती है और फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया बाधित होती है. विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि रतुआ रोग से बचाव के लिए प्रोपोगोनाजोल 25% का उपयोग करें. इसे 200 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें. इस दवा के फाइटोटोनिक प्रभाव से दाने की चमक और मोटाई में सुधार होता है.
गेहूं की फसल में मिल्की स्टेज पर सिंचाई प्रबंधन बेहद जरूरी है. इस अवस्था में पानी की कमी से फसल की पैदावार में भारी गिरावट हो सकती है. विशेषज्ञों ने बताया कि अगर इस अवस्था में सिंचाई नहीं दी गई, तो उत्पादन 35 क्विंटल से घटकर आधा हो सकता है. समय पर सिंचाई से फसल को पानी की तनाव से बचाया जा सकता है और पैदावार में बढ़ोतरी सुनिश्चित की जा सकती है.
गेहूं की फसल में पोषक तत्वों की सही मात्रा का उपयोग पैदावार बढ़ाने में मदद करता है. विशेषज्ञों ने एनपीके, क्लोरमक्केट क्लोराइड और अमीनो एसिड जैसे फर्टिलाइज़र और टॉनिक का उपयोग करने की सलाह दी है. एनपीके 05234 में 52% फॉस्फोरस और 34% पोटाश होता है, जो तनों को मजबूत करता है और दाने की क्वालिटी में सुधार करता है. क्लोरमक्केट क्लोराइड पौधे की अनावश्यक वृद्धि को रोककर सारी शक्ति को दाने भरने में लगाता है. अमीनो एसिड और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का उपयोग दाने की मोटाई, चमक और पैदावार को बढ़ाने में सहायक होता है.
गेहूं की फसल में पैदावार बढ़ाने के लिए झंडा पत्ती की देखभाल, रतुआ रोग से बचाव, सिंचाई प्रबंधन और सही फर्टिलाइजर का उपयोग जरूरी है. इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसल की क्वालिटी और उत्पादन में सुधार कर सकते हैं.
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