क्या आपको पता है कि आपकी उपज पर भी बैंक आपको लोन देते हैं? यह लोन वैसा ही होता है जैसा आप किसी प्रॉपर्टी या गोल्ड आदि पर लेते हैं. इस तरह के लोन में हम प्रॉपर्टी के कागज या गोल्ड को बैंक में रेहन रखते हैं. बैंक उसके एवज में हमें पैसा देता है. लेकिन उपज पर मिलने वाला लोन थोड़ा अलग है. इसमें आपकी उपज को रेहन रखा जाता है. फिर बैंक उसी आधार पर किसान को लोन देता है. इसे टेक्निकल भाषा में हम 'प्लेज फाइनेंसिंग' कहते हैं. प्लेज फाइनेंसिंग में किसान अपनी किसी भी तरह की उपज जैसे कि धान, गेहूं आदि को सिक्योरिटी के तौर पर रेहन रखता है. फिर उसके वैल्यू के आधार पर बैंक या अन्य संस्थान किसान को लोन देते हैं.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में उपज पर लिए जाने वाले लोन में बड़ी तेजी आई है. 'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट कहती है, उपज पर लोन लेने में किसान ही नहीं बल्कि व्यापारी भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. इस साल लोन की कुल राशि 2442 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है जो कि पिछले साल से 66 परसेंट अधिक है. हालांकि इस लोन को लेने के लिए एक खास तरह का सिस्टम बना हुआ है जिसे इलेक्ट्रॉनिक निगोशिएबल वेयरहाउस रीसिट (e-NWR) कहते हैं. इसी के माध्यम से किसान और व्यापारी फसल पर लोन लेते हैं.
जिन किसानों और व्यापारियों के पास e-NWRs होता है, वे बैंकों से आसानी से लोन ले सकते हैं. इसमें किसान या व्यापारी को सबसे पहले सरकार से रजिस्टर्ड किसी गोदाम में अपनी उपज रखनी होती है. फिर उस गोदाम से किसान या व्यापारी के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक रसीद जारी होती है जिसे निगोशिएबल वेयरहाउस रीसिट या e-NWR कहा जाता है. फिर किसान या व्यापारी इसी रसीद के आधार पर बैंक से लोन ले सकते हैं. यह रसीद इलेक्ट्रॉनिक होने के अलावा कागज के रूप में भी होता है जिसे सरकार के सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस में छापा जाता है. किसान अपनी उपज के बदले यह रसीद ले सकते हैं और उसी आधार पर लोन मिल जाता है.
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इस रसीद की मदद से किसान धान, चना, अरंडी, सरसों और गेहूं जैसी उपजों को सिक्योरिटी बनाकर बैंक से लोन ले सकते हैं. इसके अलावा किसान सोयाबीन, ग्वार और जौ आदि को भी रेहन रख सकते हैं. किसान जहां अपनी फसल को रखते हैं, उस वेयरहाउस को सरकार के वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (WDRA) से मान्यता दी जाती है. अभी देश में WDRA से रजिस्टर्ड मात्र 3927 वेयरहाउस हैं जबकि पूरे देश में गोदामों की कुल तादाद 55,000 के आसपास है.
जिस उपज को किसान या व्यापारी सिक्योरिटी के तौर पर रखते हैं, उस उपज की क्वालिटी और मात्रा के आधार पर लोन की राशि तय होती है. राशि इस बात पर भी निर्भर करती है किस जगह पर वेयरहाउस में फसल रखी गई है. लोन की राशि इस बात पर भी निर्भर करती है कि लोन लेते वक्त फसल का क्या भाव चल रहा है. फसल के कुल वैल्यू का कम से कम 65-75 फीसद तक लोन मिल जाता है.
आप सोच रहे होंगे कि जिस उपज को रेहन रखकर आप लोन लेना चाहते हैं, उसकी ब्याज दर क्या होगी. बैंकों के मुताबिक उपज पर लिए जाने वाले लोन की ब्याज दर बाकी लोन से कम होती है. यानी सामान्य लोन से इसकी ब्याज दर कम रहती है. यह दर 8.5 से 11 फीसद तक जा सकती है. इस दर पर बैंकों से बाकी के लोन जल्दी नहीं मिलते. किसानों के लिए यह दर कम रखी गई है ताकि उन्हें पैसे लौटाने में सुविधा रहे.
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लगभग सभी सरकारी बैंकों से किसान या व्यापारी अपनी उपज के आधार पर लोन ले सकते हैं. इसके लिए उन्हें वेयरहाउस से मिली रसीद जमा करनी होगी. इसी रसीद के आधार पर बैंक किसानों को लोन दे देते हैं. हालांकि इस काम में प्राइवेट बैंक कम आगे आ रहे हैं. जिन बैंकों में कृषि उपजों के लिए कोलैटरल मैनेजर रखे जाते हैं, वे प्राइवेट बैंक किसानों को आसानी से लोन दे देते हैं.
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