पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को आमतौर पर PCOS के नाम से जाना जाता है. पिछले कुछ सालों में महिलाओं में यह समस्या तेजी से बढ़ी है. इस बात की गंभीरता को समझते हुए सितंबर का महीना पीसीओएस जागरूकता के तौर पर मनाया जाता है. पीसीओएस एक गंभीर हार्मोनल समस्या है जो मेटाबॉलिक और प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बनती है. पीसीओएस की समस्या कई महिलाओं और लड़कियों में पाई जाती है लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं. वहीं महिलाओं को ये भी नहीं पता होता कि इस समस्या को दूर करने के लिए उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. इसी कड़ी में आज 'हम स्वस्थ रहें, मस्त रहें' सीरीज में बात करेंगे कि इस समस्या को दूर करने के लिए महिलाओं को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं.
यह एक हॉरमोन से जुड़ी बीमारी है, जिसके कारण महिलाओं के अंडाशय का आकार बढ़ जाता है. साथ ही, इसके बाहरी किनारों पर छोटी गांठें (सिस्ट) बन जाती हैं. PCOS का कोई ठोस कारण अभी तक नहीं पाया जा सका है. यह समस्या कई कारणों से भी हो सकती है. इस समस्या में समय पर पीरियड्स का ना आना, बालों का अत्यधिक विकास, मुंहासे और मोटापा इसके मुख्य लक्षण हैं. यह समस्या 20 से 30 साल की उम्र में ज़्यादा होती है. पीसीओएस का ओवरी पर बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से महिलाओं के प्रजनन अंग प्रभावित होते हैं. प्रजनन अंग ही शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉरमोन बनाते हैं जो पीरियड्स को संतुलित रखते हैं.
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PCOS की समस्या से परेशान महिलाओं को अपने डाइट में हल्दी, अदरक, लहसुन, तुलसी और लाल मिर्च जैसी जड़ी-बूटियां और मसाले शामिल करने चाहिए. क्योंकि इनमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा बादाम, सैल्मन और सार्डिन के ज़रिए अपने आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल करने से भी काफ़ी मदद मिल सकती है.
इस समस्या से पीड़ित लोगों को ऐसा आहार लेने की जरूरत है जिसमें फाइबर भरपूर मात्रा में हो और जिसमें पर्याप्त मात्रा में सब्ज़ियां और फल शामिल हों. इन फलों और सब्ज़ियों में मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट इंसुलिन प्रतिरोध और सूजन को कम करने में मदद करते हैं और आंत के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखते हैं.
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कैलोरी से भरपूर स्नैक्स की जगह बादाम, ताजे मौसमी फल और सब्ज़ियां जैसे पौष्टिक स्नैक्स खाएं. बादाम खाने से आपको भरपूर पोषण मिलता है और जल्दी भूख भी नहीं लगती.
किसी भी संतुलित आहार में कम वसा और उच्च प्रोटीन वाला मांस शामिल होता है. पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं के लिए ऐसा मांस बहुत फायदेमंद होता है. अगर आपको हार्मोनल असंतुलन के कारण वजन कम करने में परेशानी हो रही है, तो आपको अपने आहार में मीट को शामिल करना चाहिए. ऑर्गेनिक मांस खाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आहार में वसा की मात्रा पर नज़र रखना. गैर-ऑर्गेनिक मांस (मुर्गी, अंडे और जानवरों द्वारा एंटीबायोटिक या ग्रोथ हार्मोन के बिना उत्पादित डेयरी उत्पाद) में आमतौर पर जानवरों को दिए जाने वाले हार्मोन के उच्च स्तर होते हैं और जब इनका सेवन किया जाता है, तो ये सीधे मनुष्यों के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करते हैं. दूसरी ओर, ऑर्गेनिक मीट में एनिमल हार्मोन का स्तर बहुत कम होता है, इसलिए यह हार्मोनल असंतुलन के मामले में फायदेमंद होता है.
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